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Shani Gochar : शनि ने कुंभ राशि में किया प्रवेश, साढ़े साती और ढैय्या का असर होगा इन राशियों पर

Upaaye from today saturn will be in aquarius sade sati will start on pisces: digi desk/BHN/इंदौर/ वर्ष का सबसे बड़ा राशि परिवर्तन 17 जनवरी को रात 8 बजकर 2 मिनट पर होने जा रहा है। शनिदेव मकर से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि के राशि परिर्वतन से धनु राशि साढ़ेसाती से और मिथुन व तुला राशि लघुकल्याणी ढैया से मुक्त हो जाएंगे, जबकि मकर पर साढ़ेसाती का अंतिम ढैया, कुंभ पर दूसरा ढैया और मीन पर प्रथम ढैया प्रारंभ होगा। इसके साथ ही कर्क और वृश्चिक राशि पर लघुकल्याणी ढैया प्रारंभ हो जाएगा। ज्योतिर्विदों के मुताबिक शनि के राशि परिर्वतन से सभी राशियां प्रभावित होंगी। इसका असर व्यवसाय, नौकरी, प्रेम, संतान, शिक्षा और स्वास्थ्य पर पड़ेगा।

ज्योतिर्विद आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार शनिदेव एक राशि में ढाई वर्ष रहते हैं। 29 अप्रैल 2022 को शनि ने कुंभ में प्रवेश किया था। इसके बाद 5 जून को वक्री हो गए थे। वक्री अवस्था में शनि ने 12 जुलाई को मकर राशि में प्रवेश किया था। 23 अक्टूबर को पुन: मार्गी हुए और अब 17 जनवरी को पुन: कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि मंदिर जवाहर मार्ग के पं. कान्हा जोशी के मुताबिक जिन राशियों पर साढ़ेसाती का ढैया शुरू हो रहा है उनकी परेशानियां बढ़ सकती हैं। अन्य राशि के जातकों के लिए यह राशि परिवर्तन मिश्रित फलदायी होगा।

देश-दुनिया पर प्रभाव

ज्योतिर्विदों के अनुसार शनि के कुंभ राशि में गोचर करने का देश-दुनिया पर व्यापक प्रभाव होने वाला है। शनि का स्वभाव ठंडा है और यह सीधे प्रकृति और पर्यावरण से जुड़ा है इसलिए बड़ी प्राकृतिक आपदाओं के संकेत हैं। शनि अपनी ही राशि में आकर अधिक बलवान होने के कारण देश के उत्तरी भूभागों में बड़ी हलचल, अत्यधिक शीत, बर्फबारी, भूस्खलन, बाढ़, भूकंप, बांध टूटने जैसी विपदाएं आ सकती हैं। शनि वाहनों का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। इसलिए कोई बड़ी विमान, ट्रेन, बस दुर्घटना की आशंका है। देश-दुनिया के राजनीतिक-व्यापारिक संबंधों में टकराव, महामारी, संक्रामक रोग जैसी स्थितियां सामने आ सकती हैं।

राशियों पर यह पड़ेगा प्रभाव

मेष : कार्य क्षेत्र में परेशानी, आय से अधिक खर्च की स्थिति बनेगी। स्वजन से मतभेद। कर्ज लेने की स्थिति बनेगी।

वृषभ : आर्थिक स्थिति में सुधार, अचल संपत्ति की प्राप्ति के योग बनेंगे। वाहन-मशीनरी के प्रयोग में सावधानी रखें।

मिथुन: भाई-बहन से विवाद और पीड़ा, आर्थिक कष्ट आ सकता है। शत्रुभय बना रहेगा, स्त्री से कष्ट, तीर्थयात्रा, धार्मिक प्रवृत्ति बढ़ेगी।

कर्क : राजभय, संतान को कष्ट, कार्यों बाधा और हानि। व्यावसायिक क्षेत्रों में असफलता, अचल संपत्ति की प्राप्ति के योग बनेंगे।

सिंह : स्त्रीकष्ट, द्रव्यहानि, नौकरी में परेशानी, व्यवसाय में बाधा, मानसिक पीड़ा, बुद्धि भ्रम, धन-संपदा में लाभ, वाहन खरीदी योग।

कन्या : आरोग्यता, शत्रुनाश, कोर्ट के कार्यों में विजय, कर्ज मुक्ति, स्वजन से विरोध-मतभेद, संतान की चिंता, भाई-बहनों से परेशानी।

तुला : कार्यों में सफलता के साथ सम्मान और प्रतिष्ठा में वृद्धि, उन्नति, शिक्षा के क्षेत्र में सफलता, स्थायी संपत्ति में वृद्धि के योग।

वृश्चिक: शत्रु वृद्धि होगी, स्थान परिवर्तन, यात्रा में कष्ट, स्वभाव में कड़वाहट, स्थायी संपत्ति की प्राप्ति, नौकरी कारोबार में उन्नति।

धनु : पद-प्रतिष्ठा, सम्मान, पराक्रम में वृद्धि होगी। नौकरी-व्यवसाय में सफलता, धनलाभ, भाई से सहयोग, शत्रुनाश, भूमि-गृह की प्राप्ति।

मकर : अकारण विवाद, स्वजन का वियोग, कलह, स्त्री से कष्ट, नौकरी-व्यवसाय में परिवर्तन, भटकाव, गृह त्याग, भौतिक सुखों में वृद्धि।

कुंभ : जीवनसाथी को पीड़ा, स्वास्थ्य में गिरावट, कार्यों में बाधा, कोर्ट-कचहरी के मामले, पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि, कार्य में बदलाव।

मीन : व्यापार में परेशानी, पारिवारिक कलह, शारीरिक पीड़ा, धनागम में परेशानी, आय से अधिक व्यय। मित्रों और प्रेम में वृद्धि होगी।

क्या करें उपाय

  • हनुमानजी की आराधना-दर्शन-पूजन करें। हनुमान चालीसा, सुंदरकांड, बजरंग बाण का पाठ नियमित करें।
  • साढ़ेसाती, लघुकल्याणी ढैया वाले लोग शनिदेव के नेत्रों में न देखते हुए चरणों में देखकर वहीं तेल अर्पित करें।
  • श्री शनैश्चर स्तोत्र, शनि कवच, शनि अष्टोत्तरशत नामावली का पठन करें।
  • सुबह पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं और शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल के दीपक जलाएं।
  • शनि के मंत्र ऊं शं शनैश्चराय नम:, ऊं प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: के 23 हजार जाप और दशांश हवन करें।
  • काले रंग की वस्तुओं का दान, काला वस्त्र, उड़द, छायापात्र का दान करने से शनि की पीड़ा दूर होगी।
  • शनि न्याय के देवता हैं। उन्हें ईमानदारी और स्पष्टवादिता पसंद है। पीड़ा से बचने के लिए आचरण की शुद्धता रखें।

किस राशि पर क्या

मकर : अंतिम ढैया चरण पर

कुंभ : द्वितीय ढैया हृदय-पेट पर

मीन : प्रथम ढैया मस्तक पर

कर्क : लघुकल्याणी ढैया

वृश्चिक : लघुकल्याणी ढैया

शनि का गोचर

  • 17 जनवरी 2023 को रात्रि 8.02 से 29 मार्च 2025 को रात्रि 11.01 तक
  • कुंभ में शनि अस्त 30 जनवरी 2023 सायं 5.56 से 5 मार्च 2023 प्रात: 6.51 तक
  • शनि वक्री 17 जून 2023 रात्रि 10.56 से 4 नवंबर 2023 दोपहर 12.31 तक
  • कुल अस्त अवधि 33 दिन
  • कुल वक्री अवधि 140 दिन

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