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Mahalakshmi Poojan: सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी करने, महिलाएं करेंगी अगहन गुरुवार पर महालक्ष्मी पूजन

invite goddess lakshmi and increase happiness and prosperity women will worship mahalakshmi on aghan thursday: digi desk/BHN/रायपुर/ हिंदू संवत्सर के अगहन माह में प्रत्येक गुरुवार को महालक्ष्मी पूजा करने का महत्व है। ऐसी मान्यता है कि महालक्ष्मी की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है। इसी मान्यता के साथ लगातार तीसरे गुरुवार को महिलाएं महालक्ष्मी की विधिवत पूजा करके प्रसाद ग्रहण करेंगी। महालक्ष्मी पूजन की पूर्व संध्या पर बुधवार को महिलाओं ने पूजन सामग्री की खरीदारी की। शाम को घर के मुख्य द्वार के सामने गोबर से लीपकर रंगोली से सजाया और पूजा घर में दीप प्रज्वलित करके माता लक्ष्मी को आमंत्रित किया।

यदि आप चाहते हैं कि महालक्ष्मी की कृपा सदैव आपके पूरे परिवार पर बरसती रहे और धन-दौलत की कोई कमी न रहे। परिवार में सुख-शांति का माहौल रहे तो अगहन माह के चारों गुरुवार के दिन महालक्ष्मी की विधिवत पूजा करें। दिनभर व्रत रखकर पूजा के पश्चात प्रसाद ग्रहण करें। पूरे अगहन माह तक श्रद्धापूर्वक महालक्ष्मी की आराधना कर सदाचार से दिन व्यतीत करने वाले पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है और स्थायी रूप से मां लक्ष्मी का वास घर पर होता है।

सुबह, दोपहर, शाम को पूजा

गुरुवार को महिलाएं सुबह स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेकर पूजा करेंगी। दोपहर 12 बजे फिर पूजा करके चावल की खीर, अनरसा, बबरा, चावल का चीला आदि व्यंजनों का भोग लगाएंगी। शाम को तीसरी बार पूजन, आरती करके रानी चोल और चिल्ल की कथा पढ़कर माता को लगाए गए भोग का प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारणा करेंगी।

तीन चरणों में होगी पूजा

गुरुवार को सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक तीन चरणों में महालक्ष्मी की पूजा की जाएगी। सुबह दीप प्रज्ज्वलित कर मां का स्मरण कर विधिवत पूजा की जाएगी। दोपहर 12 बजे पूजा करके चावल के व्यंजन का भोग लगाया जाएगा। जैसे चावल की खीर, अनरसा, बबरा, चावल का चीला का भोग लगेगा। तीसरे चरण की पूजा शाम को करके महाआरती कर प्रसाद ग्रहण किया जाएगा। बुधवार को मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करने के दौरान प्रसाद के रूप में नारियल, केला, सिंघाड़ा, आंवला अवश्य रखना चाहिए। चावल के व्यंजन और सब्जी का भी भोग लगाना चाहिए।

पूजन सामग्री खरीदी

वहीं बुधवार को महिलाओं ने पूजा के लिए नारियल, केला, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, सीताफल, धान की बाली का झालर, कुम्हड़ा, आंवला, पान, कपड़ा, टोकनी, प्याज, तेल, घी, शक्कर, चावल आदि पूजन सामग्री खरीदी।

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