Narak Chaturdashi 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ दिवाली के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है। इस बार ये त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। नरक चतुर्दशी, नरक चौदस के नाम से भी जाना जाता है। आइए नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त, महत्व और पौराणिक कथा के बारे में जानते हैं।
दीपदान का महत्व
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार नरक चतुर्दशी पर तर्पण और दीपदान का महत्व है। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद यमराज की पूजा करने से जातक सभी पापों से मुक्ति पाकर स्वर्ग को प्राप्त करता है। शाम के समय यम का दीपक जलाने का विधान है। नरक चतुर्दशी के दिन यम के नाम का दीपक जलाने से असमय मृत्यु का भय समाप्त होता है।
नरक चतुर्दशी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार नरकासुर नामक राक्षस ने देवता और साधु संतों को अपनी शक्तियों से परेशान कर दिया था। यहां तक कि 16 हजार स्त्रियों को बंधक बना लिया था। नरकासुर के अत्याचारों से परेशान होकर देवता और साधु-सांत श्रीकृष्ण के पास गए। नरकासुर को स्त्री के हाथों से मरने का श्राप था। इसलिए श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से नरकासुर का वध कर दिया। जिस दिन नरकासुर का वध हुआ। उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी थी। भगवान कृष्ण ने इसके बाद 16 हजार स्त्रियों को मुक्त कराया था। बाद में ये स्त्री कान्हा की पट रानियां के नाम से जानी गईं।