Friday , November 1 2024
Breaking News

Dhanteras: धनतेरस आज और कल दो दिन, बन रहा है त्रिपुष्कर संयोग, जानिए शुभ मुहूर्त

Dhanteras 2022 dhanteras today and tomorrow two days tripushkar coincidence is being made for shopping know auspicious time: digi desk/BHN/रायपुर/ इस बार त्रयोदशी तिथि दो दिन होने से दोनों दिन धनतेरस मनाया जाएगा। त्रिपुष्कर योग का संयोग भी बन रहा है। अनेक श्रद्धालु पहले दिन 22 अक्टूबर को दीप प्रज्वलित करेंगे। वहीं दूसरे दिन भी लोग धनतेरस मनाएंगे। ज्योतिषियों का मानना है कि त्रयोदशी तिथि 22 और 23 अक्टूबर को दोनों दिन सायंकालीन प्रदोष काल में है। पहले दिन द्वार पर दीप प्रज्वलित करके खाताबही का पूजन किया जा सकता है और दूसरे दिन सूर्याेदय यानी उदया तिथि वाली त्रयोदशी पर भगवान धनवंतरि की पूजा और सोना, चांदी, अन्य धातुओं की खरीदारी करना श्रेष्ठ होगा।

ज्योतिषाचार्य डा.दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार 22 अक्टूबर की शाम प्रदोष काल में 6.02 बजे से त्रयोदशी तिथि शुरू हो रही है, जो 23 अक्टूबर को 6.03 बजे तक रहेगी। चूंकि उदया तिथि को महत्व दिया जाता है इसलिए 23 अक्टूबर को भगवान धनवंतरि और हनुमानजी की पूजा करें। इस दिन त्रिपुष्कर योग, नीच भंग राजयोग, सवार्थसिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग तथा गुरु, बुध, शुक्र और शनि के स्वग्रही रहते धनतेरस की खरीदारी शुभ होगी।

ऐसे करें पूजा

धनवंतरी को भगवान विष्णु का अंश अवतार भी बताया गया है। इसीलिए धनतेरस के दिन प्रात:काल धनवंतरी पूजन के पूर्व यदि विष्णु सहस्रनाम का पठन या श्रवण किया जाए तो पूजन का पूर्ण फल मिलेगा। आम की लकड़ी के पाटे पर हल्दी से स्वास्तिक बनाएं। स्वास्तिक के मध्य एक पूजा सुपारी को गुलाब जल से स्वच्छ कर भगवान धनवंतरी के रूप में स्थापित कर पूजन करें। चांदी के पात्र या किसी भी अन्य पात्र में चावल से बने खीर का भोग लगाएं। तुलसी का पत्र अर्पित करें।

मंत्र जाप करें

सत्यं च येन निरतं रोगं विधूतंएअन्वेषित च सविधिं आरोग्यमस्य।

गूढं निगूढं औषध्यरूपम्धन्वन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यं।।

एक नारियल पर कुंकुम से स्वास्तिक बनाकर चावल और पुष्प रखकर रोगनाश और प्रगति के लिए इस मंत्र का जाप करें ऊं रं रूद्र रोगनाशाय धन्वन्तर्ये फट्।

खरीददारी के मुहूर्त

वृश्चिक लग्न-प्रात: 7.53 बजे से 10.08 बजे तकदेव प्रतिमाएं, हीरा, स्वर्ण आभुषण, किचन का सामान, मशीन, वाहन औजार खरीदें ।

कुंभ लग्न- मध्यान्ह 2.02 से 3.37 बजे तक हीरा, स्वर्ण, आभूषण, मशीन, वाहन, औजार

वृषभ लग्न- सायं 6.51 बजे से रात्रि 8.50 बजे तकचांदी, किचन के आइटम, मशीन, हीरा, स्वर्ण आभूषण, जमीन या भवन की बुकिंग तथा इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम

चौघडिया के अनुसार

चरप्रात: 7.29 से 8.55 बजे तकस्वर्ण आभूषण, औषधि, किचन का सामान, स्टील और तांबे के सामान्, सजावट का सामानलाभप्रात: 8.55 बजे से 10.22 बजे तकलॉकर, वाहन, इलेक्ट्रॉनिक सामान

अमृत- प्रात: 10.22 बजे से 11.48 बजेभूमि, पानी भरने का घड़ा, फर्नीचर, हीरा, स्वर्ण आभूषण, आफिस के सामान, बच्चों के अध्ययन की सामग्रीशुभमध्यान्ह 1.14 बजे से 2.40 बजे तकस्वर्ण आभूषण, हीरा, देव प्रतिमाएं, भूमि, भवनरात्रि मुहूर्त

सायंकाल 5.32 बजे से मध्य रात्रि तक शुभ, अमृत, चरस्वर्ण आभूषण, रत्न, हीरा, देव प्रतिमाएं भूमि, भवन

यमराज को दीपदान

प्रदोष काल में यानी सूर्यास्त से डेढ़ घंटे तक यमराज के नाम पर द्वार पर दक्षिण दिशा में दीप प्रज्वलित करके दीप दान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।

कार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे ।यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।इस श्लोक का अर्थ है कि कार्तिक मास में त्रयोदशी के दिन सायंकाल में घर के बाहर यम-देव के उद्देश्य से दीपक रखने से अपमृत्यु का निवारण होता है और जातक के अंदर अल्प मृत्यु के भय को दूर करता है।

यम दीपदान मंत्र

मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन श्यामया सह |त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यजः प्रीयतां मम ||इसका अर्थ है कि धन त्रयोदशी पर यह दीप मैं सूर्य पुत्र को अर्थात यम देवता को अर्पित करता हूं । मृत्यु के भय से वे मुझे मुक्त करें और मेरा कल्याण करें।

ऐसे करें दीप प्रज्वलन

गेहूं के आटे का एक बड़ा दीपक बना लें। गेहूं के आटे से बने दीपक में तमोगुणी ऊर्जा तरंगे शांत करने की क्षमता होती है। दो लंबी बत्तियां एक-दूसरे पर आड़ी रखें। दीपक के बाहर बत्तियों के चार मुंह दिखाई दें। तिल डालकर, रोली, अक्षत, पुष्प पूजन कर इसे गेहूं की ढेरी बनाकर रखें और प्रज्वलित करें। दक्षिण दिशा में रखकर ऊं यमदेवाय नमः का जाप करें। साथ में 13 दीपक भी प्रज्वलित करें।

राशि के अनुसार क्या खरीदें

  • मेष- पति या पत्नी के लिए स्वर्ण, रजत
  • वृषभ – सजावट की सामग्री, वाहन, किचन के आइट्म
  • मिथुन – देव प्रतिमाएं हरा रत्न जड़ा ब्रेसलेट
  • कर्क – मोती, वस्त्र, स्वर्ण, घर, प्लॉट
  • सिंह – लॉकर, अलमारी, वाहन, कंप्यूटर, रजत के आभूषण
  • कन्या – गैस चूल्हा, किचन का सामान, पन्ना रत्, घर, प्लॉट
  • तुला – लाइट डेकोरेशन, पर्दे, स्वर्ण की अंगूठी
  • वृश्चिक – देव मंदिर, सजावट सामग्री, मूंगा और स्वर्ण का हार
  • धनु – माता के लिए कोई आभूषण, पुखराज, लक्ष्मी यंत्र
  • मकर – उपयोगी यंत्र, वाहन, स्वर्ण और रजत
  • कुंभ – पानी भरने का घड़ा, स्वर्ण सिक्का
  • मीन – मोती और पुखराज, वाहन, वस्त्र, घर, प्लॉट

About rishi pandit

Check Also

अलग-अलग धर्मों के लोग कैसे आए साथ, अमेरिका का मंदिर जहां पूजा करने से नहीं झिझकते लोग

धर्म को लेकर भेदभाव आजकल आम बात है। अलग-अलग धर्म के लोग ही नहीं, एक …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *