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Satna, धनतेरस के लिए सजा बाजार, सोने-चांदी के साथ-साथ बर्तनों की होगी खरीदी, कारोबारियों को अच्छे व्यापार की उम्मीद



सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ शनिवार को शुभ संयोंगो के बीच धनतेरस के लिए सतना का बाजार पूरी तरह सज कर तैयार है । 22 अक्टूबर को धनतेरस से पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत हो जाएगी। सभी लोग त्योहार को मनाने की तैयारी कर रहे हैं। इस बार की दीपावली खास होने वाली है। धनतेरस के लिए शहर का बर्तन बाजार सज कर तैयार है। व्यापारियों को इस साल अच्छी ग्राहकी की उम्मीद है। बाजारों में सिर्फ वही ग्राहक पहुंच रहे हैं, जिन्हें कोई सामान खरीदना हो। पिछले वर्षों की तुलना में अच्छी ग्राहकी देखी जा रही है। देवउठनी ग्यारस भी नजदीक है। इसके चलते शादी विवाह के मुहूर्त भी अधिक हैं। इस कारण से कई लोग पहले से बर्तनों की बुकिंग करवाने भी बाजारों में दिखाई दे रहे हैं।

बर्तनों की पहले से बुकिंग

बाजार में सिर्फ वही ग्राहक दिखाई दे रहे हैं, जो खरीदारी करने आ रहे हैं। पिछले कई वर्षों में नवंबर व दिसंबर में शादी के सीजन के पहले ही मनपसंद बर्तनों की बुकिंग कई लोग करा देते थे, लेकिन इस वर्ष ग्राहक सिर्फ सीधे आ रहा है। सामान खरीद कर जा रहा है, जो अच्छा संकेत है। बर्तन बाजार करीब 50 साल पुराना है। यहां करीब 100 के करीब दुकानें हैं। शहर की बात की जाए तो छोटे बड़े व्यापारियों को मिलाकर शहर का बर्तन बाजार सबसे बड़ा बाजार है।धनतेरस के पहले जहां सभी बाजार सज के तैयार हैं। वहीं बर्तन बाजार में भी ग्राहकों की खासी भीड़ होने की उम्मीद व्यापारियों को है। बर्तन का कारोबार करने वाले व्यापारियों ने बताया कि बताया कि पहले तांबा, पीतल, कांसा के पात्रों की खरीदी होती थी। अब मॉड्यूलर किचन का कॉन्सेप्ट आने के बाद 50 साल पुराना ट्रेंड वापस लौट रहा है। कांसा, तांबा, पीतल के बर्तन और राजशाही डिजाइन के बर्तनों की मांग बढऩे लगी है।

सज गई दुकाने

धनतेरस को देखते हुए दुकानदारों ने बर्तनों को खूबसूरत तरीके से सजाया है। बर्तन बाजार में कई दुकानों में बर्तनों का घर बनाया गया है। यहां 3 मंजिला तक बर्तन एक के ऊपर एक रखे हैं। बर्तन बाजार में सुबह से ही खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी है। शहर के साथ ही आसपास के क्षेत्र से भी लोग बर्तन खरीदने यहां पहुंचे हैं। रात 12 बजे तक रौनक बनी रहने की उम्मीद है।

जानिए धनतेरस का महत्व

धनतेरस के दिन उपहार, सिक्के, बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ होती है। शुभ मुहूर्त में पूजन करने के साथ सात धान्यों की पूजा की जाती है। सात धान्य गेहूं, उड़द, मूंग,ए चना, जौ, चावल और मसूर है। साथ हीए पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्ण पुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना लाभकारी रहता है। पूजा में भोग लगाने के लिए नैवेद्य के रुप में श्वेत मिष्ठान जरूरी है। इस दिन स्थिर लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है। धन त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे।

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