Lord hanuman never put hanuman ji photo at these places in the house there will be bad results: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ भगवान हनुमान की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसलिए पवनपुत्र को संकटमोचन कहा जाता है। कहा जाता है कि बजरंगबली की पूजा करने से साधक में अत्यधिक आत्मविश्वास पैदा होता है। हनुमान चालीसा का पाठ करने से भूत-प्रेत कभी इंसानों के करीब नहीं आते। कई जातक घर में हनुमान फोटो भी लगाते हैं। हालांकि क्या आप जानते हैं कि घर में दो जगह ऐसी होती है। जहां भूलकर भी हनुमान जी की फोटो नहीं लगाना चाहिए।
उत्तर दिशा में नहीं लगाना चाहिए
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान हनुमान का फोटो घर की उत्तर दिशा में नहीं लगाना चाहिए। दक्षिण दिशा में पवनपुत्र का बहुत प्रभाव है। इसलिए घर की दक्षिण दिशा में रामभक्त की फोटो लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
इस जगह मूर्ति या फोटो न लगाएं
शयन कक्ष में भी हनुमानजी की कोई तस्वीर या मूर्ति न रखें। कहा जाता है कि बेडरूम में बजरंगबली की फोटो लगाने से दांपत्य जीवन में परेशानी आती है। पवनपुत्र की तपस्या करने वालों को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
अथ बजरंग-बाण का पाठ करें
यदि आप हनुमानजी का वरदान पाना चाहते हैं तो हनुमान चालिसा के साथ अथ बजरंग-बाण का पाठ करें। इसके जप से जीवन की समस्याओं से राहत मिलती है। नीचे पढ़ें अथ बजरंग बाण-
दोहा- निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
चौपाई
जय हनुमंत सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।। जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।। जैसे कूदि सिंधु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।। आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।। जाये विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।। बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।। अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।। लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर महँ भई।। अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अन्यर्यामी।। जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता।
आतुर होय दुख करहु निपाता।। जय गिरिधर जय जय सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।। ऊँ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिं मारु वज्र की कीले।। गदा वज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो। ऊँ कार हुं कार महाप्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।। ऊँ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमन्त कपीशा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।। सत्य होहु हरि शपथ पाय के। राम दूत धरु मारु जायके।। जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा।। पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।। वन उपवन मग गिरि गृह माँही। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।। पाँय परौं कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।। जय अन्जनि कुमार बलवन्ता।
शंकर सुवन वीर हनुमन्ता।। बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रति पालक।। भूत, प्रेत, पिशाच, निशाचर। अग्नि बैताल काल मारी मर।। इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की। राखु नाथ मर्याद नाम की। जनक सुता हरि दास कहावो। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।। जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमरित होत दुसह दुख नाशा।। चरण शरण कर जोरि मनावो। यहि अवसर अब केहिं गौहरावौं।। उठु उठु चलु तोहि राम दोहाई। पायँ परौं कर जोरि मनाई।। ऊँ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।। ऊँ हँ हँ हाँक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।। अपने जन को तुरत उबारो। सुमरित होत आनन्द हमारो।। यह बजरंग बाण जेहि मारो। ताहि कहो फेर कौन उबारे।। पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।। यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपे।। धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान। तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।। जय जय राजा राम की। जय लक्ष्मण बलवान। जय कपीस सुग्रीव की। जय अंगद हनुमान।।