सिंगरौली,भास्कर हिंदी न्यूज़/ मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर जस्टिस एस.ए.धर्माधिकारी की बेंच ने सिंगरौली जिले के ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन हेतु किए गए भू-अर्जन से जुड़े मामले पर सुनवाई करते हुए शंकरलाल बैगा बनाम मध्यप्रदेश राज्य एवं अन्य रिट पिटिशन क्रमांक 19342/2022 में ऐतिहासिक निर्णय दिया है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जितेंद्र कुमार तिवारी ने न्यायालय में पक्ष रखा की ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन भू-अर्जन अवार्ड याचिकाकर्ता के नाम पारित किया गया था,किंतु अवार्ड पारित होने के बाद याचिकाकर्ता की भूमि पर बग़ैर उनकी सहमति अथवा जानकारी के कई बाहरी लोगों के मकान एवं परिसंपत्तियों को दर्ज कर अवार्ड में सम्मिलित याचिकाकर्ता की राशि का प्रभाजन किया जा रहा था। जिसके विरुद्ध याचिकाकर्ता के द्वारा मा.उच्च न्यायालय का रुख़ करने पर न्यायालय ने सम्पूर्ण मुआवज़े प्रतिकर की राशि का भुगतान याचिकाकर्ता के नाम करने हेतु ज़िला प्रशासन को नोटिस जारी किया है।
साथ ही अंतरिम राहत के तौर पर कोर्ट ने ज़िला प्रशासन को निर्देशित किया है कि अगर याचिकाकर्ता के मुआवज़े की राशि का भुगतान अन्य लोगों के नाम किया गया है तो उनके बैंक खातों को फ़्रीज़ कर दिया जाए।इसके साथ ही कोर्ट ने अदालती खर्च का भुगतान उत्तरवादियों के द्वारा याचिकाकर्ता को करने सम्बन्धी नोटिस इशू की है।गौरतलब है कि ललितपुर सिंगरौली रेलवे लाइन भू-अर्ज़न में आए दिन अनियमित्ता सम्बन्धी खबर सामने आ रही थी।
बड़ी संख्या में मूल भूमि स्वामियों के द्वारा शिकायतें दी गई की उनके ज़मीन पर बग़ैर उनकी सहमति के अवार्ड पारित हो जाने के बाद अन्य लोगों के नाम मुआवज़े प्रतिकर की राशि का प्रभाजन किया जा रहा है।वहीं कोर्ट के उक्त आदेश के बाद स्थित स्पष्ट हो गई है कि स्वामित्व सिद्ध करने वाले प्रमाणिक सरकारी दस्तावेज़ों के बिना मूल भूमि स्वामी के मुआवज़े की राशि का मनमाने ढंग से ज़िला प्रशासन प्रभाजन कर भुगतान अन्य लोगों के नाम नहीं कर सकता है।कोर्ट द्वारा उक्त प्रकरण में दी गई याचिकाकर्ता को राहत के साथ ही इस बात की भी संभावना जताई जा रही है की अवैधानिक तरीक़े से मुआवज़े की राशि का प्रभाजन करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों के ऊपर कार्यवाही भी की जा सकती है।