Ashadha Gupt Navratri 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ मां दुर्गा को समर्पित पर्व नवरात्रि को हिंदू धर्म में सबसे पवित्र व ऊर्जादायक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुल नवरात्रि पौष, चैत्र, आषाढ और अश्विन माह में पड़ती है। इनमें दो गुप्त नवरात्रि शामिल है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान तंत्र विद्या का भी काफी महत्व है। आषाढ़ माह में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। इस नवरात्रि में मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां काली, मां तारा देवी, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।
गुप्त नवरात्रि शुभ मुहूर्त
30 जून को आषाढ़ मास की प्रतिपदा के साथ गुप्त नवरात्रि का शुरुआत हो रही है। जो कि 9 जुलाई को दशमी के साथ समाप्त हो जाएंगे। आषाढ़ प्रतिपदा तिथि 29 जून को सुबह 8:22 से शुरू होकर 30 जून को सुबह 10:49 पर समाप्त हो जाएगी।
घटस्थापना मुहूर्त
गुप्त नवरात्रि में अभिजीत मुहूर्त 30 जून को दोपहर 12:03 से शुरू होकर 12:57 पर समाप्त होगा। इस दिन घटस्थापना का मुहूर्त 30 जून को सुबह 05:48 से सुबह 10:16 तक रहेगा।
गुप्त नवरात्रि में ऐसे करें पूजा
- गुप्त नवरात्रि में आधी रात को मां दुर्गा की पूजा की जाती है।
- इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति स्थापित कर लाल रंग का सिंदूर और चुनरी अर्पित करनी चाहिए।
- मां दुर्गा को लाल रंग का पुष्प चढ़ाना शुभ माना जाता है।
- सरसो के तेल से दीपक जलाकर ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ का मंत्र जाप करना चाहिए।
गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व
गुप्त नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की पूजा गुप्त तरीके से की जाती है। इसमें विशेष तरह की इच्छापूर्ती और सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। गुप्त नवरात्रि में तंत्र-मंत्र और सिद्धि प्राप्त करने का विशेष महत्व है। इस दौरान तांत्रिक साधक तंत्र-मंत्र और सिद्धि प्राप्त करने के लिए मां दुर्गा की साधना करते हैं। इसके अलावा साधारण जन भी गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा आराधना करते हैं। माना जाता है कि इस दौरान मां की पूजा करने से जीवन के सभी संकटों का नाश होता है।