What would have happened if there were no scientists and doctors president ram nath kovind: digi desk/BHN/भोपाल/ कोरोना का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि दो-ढाई साल में दुनिया भयानक महामारी के दौर से गुजरी है। यदि वैज्ञानिक और डाक्टर न होते, तो क्या हाल होता। उन्होंने ‘आरोग्य संपदा सर्वसमावेशी स्वास्थ्य’ पत्रिका का विमोचन करते हुए यह बात कही। उन्होंने बताया कि जामनगर(गुजरात) में 170 देशों की चिकित्सा पद्घतियों का अध्ययन एवं शोध किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वहां सेंटर फार ट्रेडिशनल मेडिशनल सिस्टम का शिलान्यास किया है।
राष्ट्रपति ने कहा कि वैक्सीन से दुनिया की मानवता का बड़ा प्रतिशत बच गया। वैक्सीन देने के लिए दुनिया में भारत और प्रधानमंत्री की प्रशंसा हो रही है। कोविन्द ने मध्य प्रदेश में कोरोना नियंत्रण के कार्यों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा महर्षि पतंजलि ने तत्कालीन चिकित्सा पद्घतियों का अध्ययन कर योग एवं स्वास्थ्य पर पुस्तकें लिखी हैं। चरक और सुश्रुत संहिता इसके प्रमाण हैं।
उन्होंने प्राचीन चिकित्सा पद्घति को अत्यंत उपयोगी बताया। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने लोगों को खानपान की आदत सुधारने की नसीहत दी, तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ‘जैसा खाए अन्न-वैसा बने मन’ के विचार का बहुत महत्व है। इस विचार का प्रभाव स्पष्टतः दिखाई दे रहा है। रासायनिक खाद और कीटनाशकों से भरे खाद्यान्न के बढ़ते उपयोग के कारण लोग अनेक बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।
उन्होंने प्राकृतिक खेती के अभियान के लिए प्रधानमंत्री का आभार माना। आरोग्य भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. राकेश पंडित ने कहा राष्ट्र के स्वास्थ्य के लिए सभी चिकित्सा पद्घतियों का समन्वय जरूरी है। स्वस्थ व्यक्ति, परिवार, राष्ट्र आरोग्य भारती का लक्ष्य है। उचित आहार-विहार और जीवन शैली अच्छे स्वास्थ्य का आधार है। हम प्रीवेन्टिव, प्रोमोटिव और पाजिटिव हेल्थ के लिए काम करते हैं।