UP Legislative Assembly: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ उत्तर प्रदेश के संसदीय इतिहास में 6 जुलाई का दिन कांग्रेस पार्टी के लिए काला दिन साबित होने वाला है। दरअसल 113 साल के संसदीय इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब उत्तर प्रदेश विधान परिषद से कांग्रेस का प्रतिनिधित्व शून्य हो जाएगा। उत्तर प्रदेश विधानसभा परिषद से कांग्रेस पार्टी को पूरी तरह से सफाया हो जाएगा। 6 जुलाई को उत्तर प्रदेश विधानसभा परिषद में कांग्रेस पार्टी के एकमात्र सदस्य दीपक सिंह का कार्यकाल खत्म हो रहा है। कांग्रेस के प्रमुख नेता रहे मोतीलाल नेहरू से लेकर अभी कोई तक कोई न कोई सदस्य यूपी विधानसभा परिषद का सदस्य जरूर रहा है, लेकिन ऐसा 113 साल में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब इस सदन में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं होगा।
मोती लाल नेहरू ने 7 फरवरी 1909 को विधान परिषद की सदस्यता ली और मोतीलाल नेहरू को ही UP Legislative Assembly का पहले निर्वाचित सदस्य माना जाता है। लेकिन बाद में 1920 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन के कारण कई सदस्यों ने UP Legislative Assembly से इस्तीफा दे दिया था। उस समय उत्तर प्रदेश को संयुक्त प्रांत के नाम से जाना जाता था।