Wagons getting derailed brakes not working in goods train increasing rail accidents in western central railway zone: digi desk/BHN/जबलपुर/ रेलवे ने देश के पावर प्लांट तक कोयला पहुंचाने के लिए इन दिनों पूरा जोर लगा दिया है। पश्चिम मध्य रेलवे ने जबलपुर से लेकर भोपाल और कोटा, तीनों मंडल में मालगाडियों को बड़ी संख्या में कोयला लेकर चलाया जा रहा है। अकेले अप्रैल माह में ही पमरे ने लगभग एक हजार से ज्यादा कोयले लेकर मालगाडि़यों से कोयला पावर प्लांट तक पहुुंचाया।
पमरे के आला रेलवे अधिकारी से लेकर निजी कर्मचारी तक, हर कोई इस काम में जुटा है। इस बीच कोयला ले जा रहीं मालगाडियों में दुर्घटनाएं भी होने लगी है। किसी के वैगन पटरी से उतर रहे हैं तो किसी मालगाड़ी में ब्रेक ही काम नहीं कर रही। रेलवे जानकार बताते हैं कि इसकी वजह तय सीमा से ज्यादा कोयला वैगन में भरना है। पश्चिम मध्य रेलवे के जबलपुर, भोपाल और कोटा सीमा में आने वाली साइडिंग में जिन मालगाडियों के वैगन में लगभग 35. 8 टन कोयला भरा जाना चाहिए, उसमें 40 से 50 टन तक भरा जा रहा है।
मालगाड़ी की रफ्तार कम कर बढ़ा रहे भार
मालगाड़ी में कोयला ले जाने को लेकर हाल ही में रेलवे ने पत्र जारी किया। सूत्रों के मुताबिक इसमें यह कहा गया कि मालगाड़ी के वैगन में तय क्षमता से छह टन तक माल बढ़ा दिया जाए। इस दौरान ट्रेन की स्पीड को कम करने के निर्देश दिए गए। इस पत्र की आड़ में जबलपुर रेल मंडल की लोडिंग साइडिंग पर आठ टन और भार बढ़ा दिया। मतलब यह कि जिस वैगन में 35 टन कोयला जाना था,उसमें रेलवे पत्र के मुताबिक छह टन भार बढ़ाकर 41 टन किया गया तो वहीं लोडिंग करने वाले कर्मचारी, निजी कंपनियों के दलालों के साथ सांठगांठ कर 49 से 50 टन तक भर कर दे रहे हैं।
सीबीआई ने की थी बड़ी कार्रवाई
कुछ साल पूर्व पश्चिम मध्य रेलवे समेत देशभर में सीबीआइ ने मालगाड़ियों का भार नापने वाली मशीन वे-ब्रिज में गड़बड़ी को पकड़ा था। इस दौरान जबलपुर रेल मंडल की सीमा में आने वाली मशीनों में भी गड़बड़ी मिली। खासतौर पर कोयला और सीमेंट की साइडिंग में लगी वे-ब्रिज में यह गड़बड़ी पकड़ी गई। एक बार फिर यह गड़बड़ी सामने आ रही है, लेकिन अभी तक इसको लेकर पमरे की विजलेंस तक सक्रिय नहीं हो सकी है।
हो रही गड़बड़ी
- – कोयला वैगन में भरते वक्त अधिक मात्रा में चढ़ाया दिया जाता है
- – रेलवे ने वैगन में भार बढ़ाने कहा, लेकिन इससे भी अधिक भरा जा रहा है
- – कई बार वे-ब्रिज में वैगन में तुलना में गड़बड़ी कर कम भार बता दिया जाता है
- – साइडिंग में कई दलाल इस काम में जुटे हैं, जो निजी कंपनी की पैरवी करते हैं
- -तय क्षमता से अधिक भार का नुकसान
- – मालगाड़ी के वैगन में अधिक भार की वजह से गाड़ी चढ़ाई नहीं चढ़ पाती
- – कई बार एक ओर ही वैगन झुक जाता है, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं
- – वैगन में लगे व्हील पर भार बढ़ता है, जिससे गर्मी के वक्त उसका आकार बदलता है
- – व्हील में गड़बड़ी होने से रेलवे की पटरियों को नुकसान पहुंंच रहा है
- – बैगन की गुणवत्ता भी लगातार खराब हो रही है।
पहुंचाया जा रहा कोयला
– कोल साइडिंग्स जेपीवीएन निवार रोड (कटनी-सिंगरौली)
– एनटीपीसी गाडरवारा (इटारसी-जबलपुर)
– पीएसएसएस बीड़ (इटारसी-खंडवा)
– जेबीटीएस सेमरखेड़ी (बीना-कोटा)
– जीटीपीएस कोटा गुरला (कोटा-मथुरा)