Badrinath dham doors are opened with 3 keys girls prepare clothes of sanctum know how to reach badrinath uttarakhand: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ बद्रीनाथ धाम हिंदू धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थान है। यह मंदिर अलकनंदा नदी के किनारे नीलकंठ पर्वत पर स्थित है। मंदिर सिर्फ 6 महीनों के लिए खुलता है। शिशिर ऋतु के दौरान मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। मान्यताओं के अनुसार आदि गुरु शंकराचार्य ने इस धाम की स्थापना की थी। पौराणिका कथा के अनुसार इस स्थान पर भगवान विष्णु ने तप किया था। तप के दौरान मां लक्ष्मी ने बेर का पेड़ बनकर श्रीहरि को छाया दी थी।
तीन चाबियों से खुलते हैं बद्रीनाथ के कपाट
बद्रीनाथ धाम के कपाट विधि-विधान से खोले जाते हैं। मंदिर की 3 चाबी को लगाने पर पट खुलते हैं। एक चाबी उत्तराखंड के टिहरी राज परिवार के राज पुरोहित के पास होती है। दूसरी बद्रीनाथ धाम के हक हकूकधारी मेहता लोगों के पास होती है। वहीं तीसरी हक हकूकधारी भंडारी लोगों के पास। मंदिर के दरवाजे खुलते ही सबसे पहले पुजारी प्रवेश करते हैं।
घी में लिपटी होती है प्रतिमा
पुजारी मंदिर में सबसे पहले गर्भगृह में जाते हैं। भगवान की प्रतिमा से कपड़ा हटाया जाता है। यह कपड़ा माणा गांव की कुंवारी लड़कियां तैयार करती हैं। कपाट बंद करने से पहले मूर्ति पर घी का लेप लगाया जाता है। फिर इसके ऊपर कपड़ा लपेटा जाता है। कपड़ा हटाने के बाद घी की स्थिति देखी जाती है। अगर घी लिपटा है तो माना जाता है कि इस साल देश में खुशहाली रहेगी। यदि कम है तो सूखा या बाढ़ की स्थिति बन सकती है।
कैसे पहुंचे बद्रीनाथ धाम
बद्रीनाथ धाम से सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन ऋषिकेश है। यहां से बद्रीनाथ की दूरी 297 किमी है। ऋषिकेश ट्रेन से पहुंचने के बाद कार या बस से बद्रीनाथ पहुंचा जा सकता है। नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून का जोली ग्रांट एयरपोर्ट है। यहां से बद्रीनाथ लगभग 314 किमी दूर है। सड़क मार्ग से ऋषिकेश और उसके बाद बद्रीनाथ धाम आसानी से पहुंच सकते है।