Chaitra Navratri 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ चैत्र नवरात्रि में 9 दिन माता की पूजा की जाती है। हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना होती है। नवरात्रि में अष्टमी के दिन महागौरी और नवमी के दिन सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। इन दोनों दिन छोटी कन्याओं का पूजन भी किया जाता है। कन्या पूजन के बाद ही व्रत को सफल माना जाता है। आइए जानते हैं अष्टमी-नवमी की तिथि और शुभ मुहूर्त।
अष्टमी-नवमी तिथि और शुभ मुहूर्त
अष्टमी का आरंभ – 8 अप्रैल, रात्रि 11 बजकर 05 मिनट से।
अष्टमी का समापन – 9 अप्रैल, रात 01 बजकर 23 मिनट तक।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त – 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक।
नवमी के दिन कन्या पूजन तिथि – 10 अप्रैल, रात 01 बजकर 23 मिनट से शुरू।
नवमी के दिन कन्या पूजन की समापन तिथि – 11 अप्रैल, दोपहर 03 बजकर 15 मिनट तक।
नवदेवी पूजन विधि
नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री की आराधना से शुरू होती है। मां दुर्गा अपने प्रथम स्वरूप में शैलपुत्री के रूप में जानी जाती हैं। पूजन विधि और कलश स्थापना नवरात्र के पहले दिन स्नान आदि के बाद धरती माता, गुरूदेव व इष्ट देव को नमन करने के बाद श्री गणेश का आह्वान करना चाहिए। कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा शुरू की जाती है। कलश में सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी, मुद्रा सादर भेंट किया जाता है। पंच प्रकार के पल्लव से कलश को सुशोभित किया जाता है। कलश के नीचे सात प्रकार के अनाज और जौ बोये जाते हैं। जिन्हें दशमी तिथि को काटा जाता है। इससे सभी देवी-देवता की पूजा होती है। कलश पर पानी वाले नारियल को लाल वस्त्र या लाल मौली में बांधकर रखें। उसमें एक बादाम, दो सुपारी, एक सिक्का डालें। इसके बाद मां सरस्वती, माता लक्ष्मी और देवी दुर्गा का आह्वान करें। जोत व धूपबत्ती जलाकर माता के सभी रूपों की पूजा करें। नवरात्र के खत्म होने पर कलश के जल का घर में छींटा मारें। कन्या पूजन के बाद प्रसाद का वितरण करें।
आरती देवी सिद्धिदात्री
जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता। तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।।
तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नंदा मंदिर में हा वास तेरा।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।।