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ऑफिस, दुकान में ऐसे करें दीवाली पर लक्ष्‍मी पूजा,  आरती, कथा, सामग्री, पूजा विधि

diwali2020:ujjain/ इस बार की दीवाली बहुत से अर्थों में अलग है। महामारी के संकट के बाद पहली बार यह पर्व आ रहा है जो कि उत्‍सव और उजाले का पर्व है। स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन प्रात: काल स्नान आदि से निवृत्त होकर सभी देवताओं की पूजा करनी चाहिए। इस दिन संभव हो तो दिन में भोजन नहीं करना चाहिए। घर में शाम के समय पूजा घर में लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्तियों को एक चौकी पर स्वस्तिक बनाकर तथा चावल रखकर स्थापित करना चाहिए। मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखना चाहिए। इसके बाद मूर्तियों के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों पर और घर में छिड़कना चाहिए। गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला आदि सामग्रियों का प्रयोग करते हुए पूरे विधि- विधान से लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। इनके साथ- साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, काली मां और कुबेर देव की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय 11 छोटे दीप तथा एक बड़ा दीप जलाना चाहिए। सभी छोटे दीप को घर के चौखट, खिड़कियों व छतों पर जलाकर रखना चाहिए तथा बड़े दीपक को रात पर जलता हुआ घर के पूजा स्थान पर रख देना चाहिए।

पूजा में आवश्यक साम्रगी

महालक्ष्मी पूजा या दिवाली पूजा के लिए रोली, चावल, पान- सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं पूजा के लिए एकत्र कर लेना चाहिए।

लक्ष्मी मंत्र 

लक्ष्मी जी की पूजा के समय निम्न मंत्र का लगातार उच्चारण करते रहना चाहिए:

ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: ॥

कैसे करें ऑफिस में दीपावली की पूजा 

दीपावली हिंदुओं का बहुत ही विशेष पर्व है। इस दिन विशेष रूप से देवी लक्ष्मी तथा भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इस विशेष पर्व पर हर घर, परिवार, कार्यालय में लक्ष्मी जी की पूजा कर उनका स्वागत किया जाता है।व्यवसाय को बढ़ाने तथा सुख-समृद्धि के साथ अपना कारोबार बढ़ाने के लिए दीपावली (Dipawali) के दिन लक्ष्मी जी और गणेशजी की पूजा विधिपूर्वक अवश्य करनी चाहिए। दीपावली पर ऑफिस (Diwali Puja at office) तथा घर में लक्ष्मी पूजा की विधि में थोड़ा- सा ही अंतर होता है।यह अंतर मात्र वस्तुओं के उपलब्ध होने और ना होने पर ही आधारित है। दीपावली के दिन लक्ष्मी जी की पूजा चाहे घर पर करनी हो या मंदिर में या ऑफिस (Diwali Puja at Office in Hindi) में विधि एक ही होती है, इसमें बहेद मामूली अंतर ही होता है।

पूजा की सामग्री 

लक्ष्मी जी की पूजा के लिए रोली, चावल, पान- सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं चाहिए होती है।

लक्ष्मी- गणेश पूजा विधि 

दीपावली के दिन जहां घरों में रात को लक्ष्मी पूजा की जाती है, वही दूसरी तरफ ऑफिस व दुकानों (Diwali puja vidhi at office in hindi) में लक्ष्मी पूजा दिन में ही किया जाता है। सभी व्यापारी धन वृद्धि और अपने कारोबार की सफलता के लिए लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करते हैं।

इस दिन ऑफिस के हॉल में या खाली जगह पर चौकी रखकर उस पर लक्ष्मी व गणेशजी की मूर्तियों को स्थापित करना चाहिए। पूजा करते समय मूर्ति का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर होना चाहिए।

इसके बाद जल से भरे हुए कलश को लक्ष्मी जी के सामने चावलों के ऊपर रखना चाहिए। नारियल को लाल चुनरी में लपेटकर कलश उसे कलश के ऊपर रखना चाहिए। लक्ष्मी जी की मूर्ति के सामने रोली से श्री का और गणेश जी के सामने त्रिशूल का चिह्न बनाना चाहिए।

इसके बाद पूजा की सामग्री जैसे खील, बताशे, मिठाइयां, फूल, माला, दीप, रुपया आदि को अलग- अलग थालियों में रखना चाहिए। हाथ में जल ले कर इस मंत्र का उच्चारण करते हुए पूजा आरंभ करनी चाहिए-

ॐ पवित्रः अपवित्रो वा सर्वावस्थांगतोऽपिवा।

यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स वाह्यभ्यन्तर शुचिः॥

पृथ्विति मंत्रस्य मेरुपृष्ठः ग षिः सुतलं छन्दः

कूर्मोदेवता आसने विनियोगः॥

इस प्रकार पूरे ऑफिस पर जल छिड़क कर उसे पवित्र करना चाहिए। फिर पूरे विधि – विधान से गणेशजी व लक्ष्मी जी की पूजा करना चाहिए। अंत में सबको प्रसाद बांटकर तथा पंडित को दक्षिणा देकर उसे विदा करना चाहिए।

इस दिन लक्ष्मी-गणेश जी (Laxmi Ganesh Puja at Office) की पूजा के साथ व्यापार वृद्धि यंत्र, महालक्ष्मी यंत्र या कुबेर यंत्र की स्थापना या पूजा करना भी शुभ माना जाता है। मान्यता है कि दीवाली के दिन इन यंत्रों को स्थापित करने से अधिक फल प्राप्त होता है।

14th November 2020

(Saturday)

Lakshmi Puja Pradosh Kaal Date and Time

14th November 2020 (Saturday)

Lakshmi Puja Muhurta

17:30:04 to 19:25:54

Duration

1 Hour 55 Minute

Pradosh Kaal

17:27:41 to 20:06:58

Vrishabha Kaal

17:30:04 to 19:25:54

Amavasya Tithi Begins, Amavasya Tithi Ends

दीवाली पूजन की सामग्री

लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा, लक्ष्मी जी को अर्पित किए जाने वाले वस्त्र, लाल कपड़ा, सप्तधान्य, गुलाल, लौंग, अगरबत्ती, हल्दी, अर्घ्य पात्र, फूलों की माला और खुले फूल, सुपारी, सिंदूर, इत्र, इलायची, कपूर, केसर, सीताफल, कमलगट्टे, कुशा, कुंकु, साबुत धनिया (जिसे धनतेरस पर खरीदा हो), खील-बताशे, गंगाजल, देसी घी, चंदन, चांदी का सिक्का, अक्षत, दही, दीपक, दूध, लौंग लगा पान, दूब घास, गेहूं, धूप बत्ती, मिठाई, पंचमेवा, पंच पल्लव (गूलर, गांव, आम, पाकर और बड़ के पत्ते), तेल, मौली, रूई, पांच यज्ञोपवीत (धागा), रोली, लाल कपड़ा, चीनी, शहद, नारियल और हल्दी की गांठ.

लक्ष्‍मी पूजन की विधि

धनतेरस के दिन माता लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की नई मूर्ति खरीदकर दीपावली की रात उसका पूजन किया जाता है. दीवाली के दिन इस तरह करें महालक्ष्‍मी की पूजा:

मूर्ति स्‍थापना:

सबसे पहले एक चौकरी पर लाल वस्‍त्र बिछाकर उस पर मां लक्ष्‍मी और भगवान गणेश की प्रतिमा रखें. अब जलपात्र या लोटे से चौकी के ऊपर पानी छिड़कते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें.

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्‍थां गतोपि वा । य: स्‍मरेत् पुण्‍डरीकाक्षं स: वाह्याभंतर: शुचि: ।।

धरती मां को प्रणाम

इसके बाद अपने ऊपर और अपने पूजा के आसन पर जल छिड़कते हुए दिए गए मंत्र का उच्‍चारण करें.

पृथ्विति मंत्रस्‍य मेरुपृष्‍ठ: ग ऋषि: सुतलं छन्‍द: कूर्मोदेवता आसने विनियोग: ।।

ॐ पृथ्‍वी त्‍वया धृता लोका देवि त्‍वं विष्‍णुना धृता । त्‍वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम् नम: ।।

पृथ्वियै नम: आधारशक्‍तये नम: ।।

आचमन: अब इन मंत्रों का उच्‍चारण करते हुए गंगाजल से आचमन करें.

ॐ केशवाय नम:, ॐ नारायणाय नम: ॐ माधवाय नम:

ध्‍यान: अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए मां लक्ष्‍मी का ध्‍यान करें.

या सा पद्मासनस्था विपुल-कटि-तटी पद्म-पत्रायताक्षी,

गम्भीरार्तव-नाभि: स्तन-भर-नमिता शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया ।

या लक्ष्मीर्दिव्य-रूपैर्मणि-गण-खचितैः स्‍वापिता हेम-कुम्भैः,

सा नित्यं पद्म-हस्ता मम वसतु गृहे सर्व-मांगल्य-युक्ता ।।

आवाह्न: अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए मां लक्ष्‍मी का आवाह्न करें.

आगच्‍छ देव-देवेशि! तेजोमय‍ि महा-लक्ष्‍मी !

क्रियमाणां मया पूजां, गृहाण सुर-वन्दिते !

।। श्रीलक्ष्‍मी देवीं आवाह्यामि ।।

पुष्‍पांजलि आसन: अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए हाथ में पांच पुष्‍प अंजलि में लेकर अर्पित करें.

नाना रत्‍न समायुक्‍तं, कार्त स्‍वर विभूषितम् । आसनं देव-देवेश ! प्रीत्‍यर्थं प्रति-गह्यताम् ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै आसनार्थे पंच-पुष्‍पाणि समर्पयामि ।।

स्‍वागत: अब श्रीलक्ष्‍मी देवी ! स्‍वागतम् मंत्र का उच्‍चारण करते हुए मां लक्ष्‍मी का स्‍वागत करें.

पाद्य: अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए मां लक्ष्‍मी के चरण धोने के लिए जल अर्पित करें.

पाद्यं गृहाण देवेशि, सर्व-क्षेम-समर्थे, भो: !

भक्तया समर्पितं देवि, महालक्ष्‍मी ! नमोsस्‍तुते ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी-देव्‍यै पाद्यं नम:

अर्घ्‍य: अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए मां लक्ष्‍मी को अर्घ्‍य दें.

नमस्‍ते देव-देवेशि ! नमस्‍ते कमल-धारिणि !

नमस्‍ते श्री महालक्ष्‍मी, धनदा देवी ! अर्घ्‍यं गृहाण ।

गंध-पुष्‍पाक्षतैर्युक्‍तं, फल-द्रव्‍य-समन्वितम् ।

गृहाण तोयमर्घ्‍यर्थं, परमेश्‍वरि वत्‍सले !

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अर्घ्‍यं स्‍वाहा ।।

स्‍नान:

अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा को जल से स्‍नान कराएं. फिर दूध, दही, घी, शहद और चीनी के मिश्रण यानी कि पंचामृत से स्‍नान कराएं. आखिर में शुद्ध जल से स्‍नान कराएं.

गंगासरस्‍वतीरेवापयोष्‍णीनर्मदाजलै: ।

स्‍नापितासी मय देवी तथा शांतिं कुरुष्‍व मे ।।

आदित्‍यवर्णे तपसोsधिजातो वनस्‍पतिस्‍तव वृक्षोsथ बिल्‍व: ।

तस्‍य फलानि तपसा नुदन्‍तु मायान्‍तरायश्र्च ब्रह्मा अलक्ष्‍मी: ।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै जलस्‍नानं समर्पयामि ।।

वस्‍त्र:

अब मां लक्ष्‍मी को मोली के रूप में वस्‍त्र अर्पित करते हुए इस मंत्र का उच्‍चारण करें.

दिव्‍याम्‍बरं नूतनं हि क्षौमं त्‍वतिमनोहरम् । दीयमानं मया देवि गृहाण जगदम्बिके ।।

उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्च मणिना सह ।

प्रादुर्भूतो सुराष्‍ट्रेsस्मिन् कीर्तिमृद्धि ददातु मे ।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै वस्‍त्रं समर्पयामि ।।

आभूषण:

अब इस मंत्र का उच्‍चारण करते हुए मां लक्ष्‍मी को आभूषण चढ़ाएं.

रत्‍नकंकड़ वैदूर्यमुक्‍ताहारयुतानि च । सुप्रसन्‍नेन मनसा दत्तानि स्‍वीकुरुष्‍व मे ।।

क्षुप्तिपपासामालां ज्‍येष्‍ठामलक्ष्‍मीं नाशयाम्‍यहम् । अभूतिमसमृद्धिं च सर्वात्रिर्णद मे ग्रहात् ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै आभूषणानि समर्पयामि ।।

सिंदूर: अब मां लक्ष्‍मी को सिंदूर चढ़ाएं.

ॐ सिन्‍दुरम् रक्‍तवर्णश्च सिन्‍दूरतिलकाप्रिये । भक्‍त्या दत्तं मया देवि सिन्‍दुरम् प्रतिगृह्यताम् ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै सिन्‍दूरम् सर्पयामि ।।

कुमकुम: अब कुमकुम समर्पित करें.

ॐ कुमकुम कामदं दिव्‍यं कुमकुम कामरूपिणम् । अखंडकामसौभाग्‍यं कुमकुम प्रतिगृह्यताम् ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै कुमकुम सर्पयामि ।।

अक्षत: अब अक्षत चढ़ाएं.

अक्षताश्च सुरश्रेष्‍ठं कुंकमाक्‍ता: सुशोभिता: । मया निवेदिता भक्‍तया पूजार्थं प्रतिगृह्यताम् ।।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै अक्षतान् सर्पयामि ।।

गंध: अब मां लक्ष्‍मी को चंदन समर्पित करें.

श्री खंड चंदन दिव्‍यं, गंधाढ्यं सुमनोहरम् ।

विलेपनं महालक्ष्‍मी चंदनं प्रति गृह्यताम् ।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै चंदनं सर्पयामि ।।

पुष्‍प: अब पुष्‍प समर्पिम करें.

यथाप्राप्‍तऋतुपुष्‍पै:, विल्‍वतुलसीदलैश्च ।

पूजयामि महालक्ष्‍मी प्रसीद मे सुरेश्वरि ।

।। श्रीलक्ष्‍मी देव्‍यै पुष्‍पं सर्पयामि ।।

अंग पूजन:

अब हर एक मंत्र का उच्‍चारण करते हुए बाएं हाथ में फूल, चावल और चंदन लेकर दाहिने हाथ से मां लक्ष्‍मी की प्रतिमा के आगे रखें.

  • ॐ चपलायै नम: पादौ पूजयामि ।
  • ॐ चंचलायै नम: जानुनी पूजयामि ।
  • ॐ कमलायै नम: कटिं पूजयामि ।
  • ॐ कात्‍यायन्‍यै नम: नाभि पूजयामि ।
  • ॐ जगन्‍मात्रै नम: जठरं पूजयामि ।
  • ॐ विश्‍व-वल्‍लभायै नम: वक्ष-स्‍थलं पूजयामि ।
  • ॐ कमल-वासिन्‍यै नम: हस्‍तौ पूजयामि ।
  • ॐ कमल-पत्राक्ष्‍यै नम: नेत्र-त्रयं पूजयामि ।
  • ॐ श्रियै नम: शिर पूजयामि ।

– अब मां लक्ष्‍मी को धूप, दीपक और नैवेद्य (मिष्‍ठान) समपर्ति करें. फिर उन्‍हें पानी देकर आचमन कराएं.

–इसके बाद ताम्‍बूल अर्पित करें और दक्षिणा दें.

– फिर अब मां लक्ष्‍मी की बाएं से दाएं प्रदक्षिणा करें.

– अब मां लक्ष्‍मी को साष्‍टांग प्रणाम कर उनसे पूजा के दौरान हुई ज्ञात-अज्ञात भूल के लिए माफी मांगे.

– इसके बाद मां लक्ष्‍मी की आरती उतारें

मां लक्ष्‍मी की आरती

  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
  • उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
  • ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
  • दुर्गा रूप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता । जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
  • ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
  • तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता । कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥
  • ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
  • जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्‍गुण आता । सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
  • ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
  • तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता । खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
  • ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
  • शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता । रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
  • ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
  • महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता । उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥
  • ॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
  • ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥

(उक्‍त आलेख ख्‍यात हस्तरेखातज्ञ. विनोद्जी पंडित. गुरुजी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार )

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