- 4500 से ज्यादा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां हैं प्रदेश में
- 55 लाख किसान जुड़े हैं इन समितियों से
- 27-28 लाख किसान प्रतिवर्ष दस हजार करोड़ रुपये से अधिक ब्याज रहित ऋण प्राप्त करते हैं
- 5 पांच करोड़ 11 लाख व्यक्तियों को एक रुपये किलो की दर से गेहूं और चावल दिया जाता है इनके माध्यम से
Elections of cooperative institutions will be held before urban bodies and panchayats in madhya pradesh: digi desk/BHN/भोपाल/ गांव-गांव तक अपनी पैठ बनाने के लिए सरकार नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव से पहले किसानों की सहकारी संस्थाओं के चुनाव कराने की तैयारी में जुट गई है। ये चुनाव मई में कराए जा सकते हैं। इसके लिए छह माह से रिक्त राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी पद पर सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी एमबी ओझा की नियुक्ति की जा चुकी है।
अब संस्थाओं की सदस्यता सूची को अंतिम रूप देकर चुनाव की प्रक्रिया प्रारंभ कराई जाएगी। प्रदेश में सहकारी संस्थाओं के चुनाव दस साल से नहीं हुए हैं। नए काम शुरू नहीं कर पा रहीं समितियां नियमानुसार समितियों के चुनाव पांच साल में होते हैं। इसकी प्रक्रिया छह माह पूर्व प्रारंभ हो जाती है। लेकिन 2012 के बाद से अब तक चुनाव नहीं हो पाए हैं। इसके कारण समितियां नए काम प्रारंभ नहीं कर पा रही हैं। सामान्य कामकाज के संचालन के लिए सहकारिता विभाग के अधिकारियों को प्रशासक बनाया गया है।
अब शिवराज सरकार ने संस्थाओं के चुनाव कराने के लिए सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी पदस्थ कर दिया है। सहकारी अधिनियम के अनुसार चुनाव कराने की संपूर्ण जिम्मेदारी निर्वाचन प्राधिकारी की है। अब वे समितिवार सदस्यता सूची तैयार कराएंगे और फिर चुनाव प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
इस तरह आगे बढ़ेगी प्रक्रिया
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि प्राथमिक स्तर की समितियों का संचालक मंडल बनने के बाद जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के चुनाव होंगे। जिला बैंकों के चुनाव के बाद अपेक्स बैंक (राज्य सहकारी बैंक) के चुनाव होंगे। इसके साथ ही अखिल भारतीय सहकारी संस्थाओं में मध्य प्रदेश से प्रतिनिधि का चयन करके भी भेजा जाएगा। साख सहकारी समिति के साथ-साथ उपभोक्ता, विपणन संघ, आवास संघ सहित अन्य सहकारी संस्थाओं के चुनाव की प्रक्रिया भी प्रारंभ की जाएगी।