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Panna: श्री प्राणनाथ जी मंदिर में चांदी की पिचकारी से डाला जाता है केशर का रंग

पन्ना,भास्कर हिंदी न्यूज़/  पन्ना में एक ऐसा मंदिर भी है जहां सुंगधित फूलों व केशर के रंग से होली खेली जाती है। इस होली का आनंद लेने देश के कोने-कोने से लोग यहां आते हैं और इस अनोखी होली का आनंद लेकर सराबोर होते हैं। पन्ना के श्री प्राणनाथ जी मंदिर में होली का त्यौहार मथुरा, वृंदावन से कम नहीं होता। यहां कैमिकल युक्त रंगों का प्रयोग नहीं होता सिर्फ फू ल के रंग के साथ-साथ शुद्ध गुलाल जिसमें किसी प्रकार का कैमिकल नहीं होता उसी का उपयोग किया जाता है।

दण्ड की स्थापना के साथ-साथ पन्ना धाम के मंदिरों में होली उत्सव की तैयारी 

होली दण्ड की स्थापना के साथ-साथ पन्ना धाम के मंदिरों में होली उत्सव की तैयारी शुरू हो जाती है। दण्ड स्थापना के दिन को मोहन होरी पर्व के रूप मे मनाया जाता है। पन्ना धाम के मंदिरों में संध्या आरती के पश्चात दण्ड स्थापना की परंपरा होता है। लंबे गीले बास में लाल रंग की पताका लगाकर उसे किलकिला नदी के किनारे व ग्वालनपुरा वर्तमान गांधी चौक के आगे निर्दिष्ट स्थान हैं जहा धाम मोहल्ले की होली रचाई जाती है। हरे बांस की जड़ में सुपारी, हल्दी की गांठ और पूजन सामग्री अर्पित करके ठकी चौदह दिनों बाद फ ल्गुन शुक्ल पूर्णिमा पर इन्दी दोनों स्थानों पर धाम मोहल्ले की होली प्रज्जवलित होती है। मोहन होरी की रात्रि में सबसे पहले जो गीत धमार में गाया जाता है।

पन्ना में भी है एक बृज और बरसाना
बृज और वृन्दावन की तरह पन्ना में भी कृष्ण भक्ति परंपरा का विशेष त्यौहार होली धूमधाम से मनाया जाता है। पौराणिक पवित्र किलकिला नदीं के पास राधिका रानी का मंदिर है इस परिक्षेत्र को बरसाना कहते है। वहीं दूसरी ओर कुछ दूर पर श्री कृष्ण और कृष्णलीला को केन्द्र में रखकर ब्रम्ह चबूतरे की स्थापना है जहां श्री प्राणनाथ श्री कृष्ण की समस्त शक्तियों के साथ पूर्णब्रम्ह परमात्मा के रूप मे विराजमान हैं जहां श्री महामति जी ने अखण्ड रास का सुंदरसाथ के साथ रमण किया था। इस क्षेत्र को बृजभूमि और परना परम धाम कहते है। यहां मथुरा, बृन्दावन और बरसाने की तरह पारंपरिक होली मनाई जाती है।
महारानी जी के मंदिर में पूरी रात चला फाग उत्सव
होलिका दहन के एक दिन पूर्व बुधवार की रात फाग (होरी) जागरण की रात होती है इस दिन श्री महारानी जी (राधिका जी) के मंदिर मे विशेष श्रृंगार होता है। रात्रि में भोग लगने के पश्चात लगभग 10 बजे महारानी के मंदिर के प्रांगण में सुन्दरसाथ (श्रद्धालु) एकत्रित होने लगते है फि र फाग गायन का कार्यक्रम का प्रारंभ हो जाता है। फाग उत्सव मे राधिका जी केन्द्र में है, दरअसल यह उन्हें होली खेलने का निमंत्रण है। दूसरे दिन गुम्बटजी व बंगला जी में पुन: होली गीतों का गायन होता है परिकल्पना यह है कि यहां राधा और कृष्ण मिलकर परस्पर होली खेलते है। समस्त सुन्दरसाथ सखियों के रूप में गीत गाते हुए इस फाग उत्सव मे सम्मिलित होते है। देर रात तक यहां रंगारंग कार्यक्रम चलता रहा। यह सब आयोजन कोरोना संक्रमण के तहत जारी शासन की गाइडलाईन का पालन करते हुए पर्याप्त शारिरिक दूरी बनाकर व मास्क लगाकर किया गया।

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