Jhabua vowing on the burning embers while hailing the mother: digi desk/BHN/पेटलावद/आस्था और विश्वास की डोर के सहारे ग्रामीणों ने दहकते अंगारों पर चलकर परंपरा का निवर्हन किया और मन्नत उतारी। मौका था गल-पर्व का। धुलेंडी पर टेमरिया, बावड़ी, करवड़, अनंतखेड़ी आदि स्थानो पर यह पर्व पारंपरिक रूप से मनाया गया। ग्रामीण मन्नतधारियों ने दहकते अंगारों से भरे गड्डे के बीच नंगे पैर गुजरते हुए अपनी मन्नत पूरी की। साथ ही अपने आराध्य भगवान को शीश झुकाया। यह सिलसिला शाम तक जारी रहा। आस्था के इस अनूठे आयोजन को देखने के लिए न केवल स्थानीय बल्कि पड़ोसी शहर रतलाम व धार जिलों से भी ग्रामीण पहुंचे थे। पुलिस ने कार्यक्रम स्थल के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए।
क्या है ये परंपरा
करीब तीन-चार फीट लंबे तथा एक फीट गहरे गड्डे में दहकते हुए अंगारे रखे जाते हैं। माता के प्रकोप से बचने और अपनी मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु माता का स्मरण करते हुए जलती हुई आग में से निकलते हैं। अच्छी फसल एवं शांति व सद्भावना के लिए यह परंपरा वर्षों से निभाई जा रही है।