Holika Dahan in Mahakal: digi desk/BHN/ उज्जैन/ फाल्गुन पूर्णिमा पर गुरुवार को शहर में होलिका का पूजन होगा। शुरुआत राजाधिराज महाकाल के आंगन से हुई। मंदिर समिति व पुजारी परिवार द्वारा परिसर में ओंकारेश्वर मंदिर के सामने बनाई होलिका का दहन किया गया। संध्या आरती के उपरांत पुजारी परिवार की महिलाओं ने होलिका का पूजन किया। इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ होलिका का दहन किया गया। शुक्रवार को धुलेंडी पर तड़के चार बजे भस्म आरती में रंगपर्व मनेगा। शाम की आरती में रंग, गुलाल और पुष्प तालियों की बौछारों के बीच बिखरे।
पुजारी, पुरोहित भगवान महाकाल के साथ हर्बल गुलाल से होली खेलेंगे। ज्योतिर्लिंग की पूजन परंपरा में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा धुलेंडी से भगवान की दिनचर्या भी बदल जाती है। इस दिन से भगवान महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराने का क्रम शुरू होता है। साथ ही नियमित होने वाली पांच में से तीन आरतियों का समय भी बदलता है।
शुक्रवार से भस्मारती तड़के चार से सुबह छह बजे तक, बालभोग आरती सुबह सात से 7.45 बजे तक, भोग आरती सुबह 10 से 10.45 बजे तक, संध्या पूजा शाम पांच से 5.45 बजे तक, संध्या आरती शाम सात से 7.45 बजे तक तथा शयन आरती रात 10.30 से 11 बजे तक होगी।
आरतियों का यह समय नौ अक्टूबर शरद पूर्णिमा तक इसी क्रमानुसार रहेगा। बात दें कि सर्दी में भगवान महाकाल गर्म जल से स्नान करते हैं। होली दहन के बाद गर्मी की शुरुआत मानी जाती है। अगले दिन धुलेंडी से भगवान को ठंडे जल से स्नान कराने का क्रम शुरू हो जाता है।
सिंहपुरी में बनेगी पांच हजार कंडों की होली
शहर के सबसे प्राचीन होली उत्सव में शुमार सिंहपुरी की कंडा होली प्रसिद्ध है। आताल-पाताल भैरव मंदिर के सामने पांच हजार गायों के गोबर से बने कंडों द्वारा होलिका का निर्माण किया गया है। पं.विनोद व्यास ने बताया कि शाम को प्रदोषकाल में 6.52 बजे चार वेद की ऋचाओं से होलिका का पूजन किया गया। शुक्रवार सुबह पांच बजे वैदिक ब्राह्मण मंत्रोच्चार के साथ होलिका दहन करेंगे।