Petrol Diesel Rate: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ तेल कंपनियों को अगर अपना घाटा पूरा करना है तो उन्हें अगले 11 दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 12 रुपये तक की बढ़ोतरी करनी पड़ेगी। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने के चलते बीते चार महीने से वाहन ईंधन के दाम नहीं बढ़े हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें गुरुवार को नौ साल में पहली बार 120 डालर प्रति बैरल से ऊपर पहुंच गईं। शुक्रवार को तेल की कीमतों में कमी आई और यह 111 डालर पर आ गईं। हालांकि अभी भी कच्चे तेल की लागत और रिटेल दरों के बीच बहुत अंतर है, जिसका भार तेल कंपनियों को उठाना पड़ रहा है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, खुदरा ईंधन विक्रेताओं को लागत वसूली के लिए पेट्रोल और डीजल के दाम 16 मार्च तक 12 रुपये प्रति लीटर से भी अधिक बढ़ाने की जरूरत है। अगर इसमें तेल कंपनियों के मार्जिन को भी जोड़ लिया जाए तो 15.1 रुपये प्रति लीटर की मूल्य वृद्धि करनी पड़ेगी।
पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम योजना और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के मुताबिक, भारत जो कच्चा तेल खरीदता है उसके दाम तीन मार्च को 117.39 डालर प्रति बैरल हो गए। ईंधन का यह मूल्य वर्ष 2012 के बाद सबसे ज्यादा है। पिछले साल नवंबर की शुरुआत में जब पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि पर रोक लगी थी, तब कच्चे तेल की औसत कीमत 81.5 डालर प्रति बैरल थी।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘तीन मार्च को वाहन ईंधन का शुद्ध मार्केटिंग मार्जिन माइनस 4.92 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में अब तक यह 1.61 रुपये लीटर है। हालांकि ईंधन के मौजूदा अंतरराष्ट्रीय मूल्य पर 16 मार्च को शुद्ध मार्जिन घटकर शून्य से नीचे 10.1 रुपये प्रति लीटर और एक अप्रैल को शून्य से नीचे 12.6 रुपये लीटर तक जा सकता है।’