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Mahashivratri: भगवान भोलेनाथ से चाहिए धन, ऐश्‍वर्य और सुख तो इन वस्‍तुओं से करें अभिषेक

Mahashivratri 2022: digi desk/BHN/जबलपुर/ एक मार्च को पड़ने वाले महाशिवरात्रि पर्व को लेकर भक्‍तों ने तैयारी शुरू कर दी है। जिसमें भगवान आशुतोष का आठ पहर अभिषेक किया जाएगा। भगवान के अभिषेक में जिस वस्‍तु का उपयोग किया जाता है उससे भक्‍त को अलग तरह का पुण्‍य फल मिलता है। जिसमें विशेष रूप से दूध, दही, घी, शहद, शक्कर का उपयोग किया जाता है। आइये जानते हैं क्या है इनका महत्व।

दूध: दूध धर्म के और मन पर प्रभाव के दृष्टिकोण से सात्विक समझा जाता है। इसमें भी गाय का दूध सर्वाधिक पवित्र और अच्छा माना जाता है। शिवजी के रुद्राभिषेक में दूध का विशेष उपयोग होता है। शिवलिंग का दूध से रुद्राभिषेक करने पर समस्त मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। सोमवार के दिन दूध का दान करने से चंद्रमा मजबूत होता है। जल में थोड़ा सा दूध डालकर स्नान करने से मानसिक तनाव दूर होता है और चिंताएं कम होती हैं।

शिवलिंग का दूध से अभिषेक किया जाता है। क्या आप इसके पीछे की वजह जानते हैं? इसका उत्तर समुद्र मंथन की कथा विष्णु पुराण और भागवत पुराण में वर्णित है। कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान संसार को बचाने के लिए जब भगवान शिव ने विष पी लिया था तब उनका पूरा कंठ नीला हो गया था। इस विष का प्रभाव भगवान शिव और उनकी जटा में बैठी देवी गंगा पर भी पड़ने लगा। ऐसे में समस्त देवी-देवताओं ने शिवजी से दूध ग्रहण करने का आग्रह किया। शिव ने जैसे ही दूध ग्रहण किया, उनके शरीर में विष का असर कम होने लगा। हालांकि उनका कंठ हमेशा के लिए नीला हो गया और उन्हें एक नया नाम नीलकंठ मिला। तभी से शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।

दही 

ऐसी मान्यता है कि दही से अभिषेक करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। दही से रुद्राभिषेक करने से भवन-वाहन की भी प्राप्ति होती है।

शहद  

शहद से अभिषेक करने से धन वृद्धि होती है। इसके साथ ही शहद से अभिषेक करने से पुरानी बीमारियां भी नष्ट हो जाती हैं।

घी

घी से अभिषेक करने पर भी धन में वृद्धि और आरोग्यता लाता है।

चीनी

शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने से इंसान विद्वान हो जाता है।

इत्र 

अगर आप शादीशुदा जीवन से खुश नहीं हैं तो भगवान शिव का इत्र से अभिषेक करें। ऐसा करने से आपके अपने पति के साथ संबंध मधुर बनेंगे।

गन्‍ने का रस

शिवलिंग पर गन्ने के रस से अभिषेक करने पर अपार लक्ष्मी मिलती है।

सरसों का तेल  

शत्रुओं से परेशान हैं तो सरसों के तेल से शिवलिंग पर अभिषेक करने से दुश्मन पराजित होंगे।

बेलपत्र चढ़ाने से प्रसन्‍न होते हैं भोले

 बेलपत्र को संस्कृत में ‘बिल्वपत्र’ कहा जाता है। यह भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है। ऐसी मान्यता है कि बेलपत्र और जल से भगवान शंकर का मस्तिष्क शीतल रहता है। पूजा में इनका उपयोग करने से वे बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं।

इसलिए चढ़ाते हैं भांग 

 हलाहल विष के सेवन के बाद शिवजी का शरीर नीला पड़कर तपने लगा परंतु फिर भी शिव पूर्णतः शांत थे लेकिन देवताओं और अश्विनी कुमारों ने सेवा भावना से भगवान शिव की तपन को शांत करने के लिए उन्हें जल चढ़ाया और विष का प्रभाव कम करने के लिए विजया (भांग का पौधा), बेलपत्र और धतूरे को दूध में मिलाकर भगवान शिव को औषधि रूप में पिलाया। तभी से लोग भगवान शिव को भांग भी चढ़ाने लगे।

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