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वसंत पंचमी: आज शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की जरूरत नहीं, जानिए क्याें

Vasant panchami 2022,today there is no need to see panchang for auspicious work know what: digi desk/BHN/ग्वालियर/ वसंत पंचमी पर छात्राओं में वसंतोत्सव का उत्साह देखते ही बन रहा था। विक्रांत कालेज की छात्राएं सुबह सरसों के खेत में पहुंची और गीत गाकर वसंतोत्सव का स्वागत किया। सखि वसंत आया, भरा हर्ष वन के मन, नवोत्कर्ष छाया, किसलय-वसना नव-वय-लतिका, मिली धुर प्रिय-उर-तरु-पतिका…ऋतुओं के राजा वसंत के स्वागत के लिए सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की उक्त पंक्तियां पर्याप्त हैं। वसंत का आगमन शनिवार काे हुआ। अब सर्दियों के विदाई के दिन शुरू होंगे, दिन बड़े होते जाएंगे। गुनगुनी धूप तेज हो जाएगी, जो काव्य के प्रेमियों को लेखन के लिए आकर्षित करेगी। पेड़ों की शाखाओं के साथ खेतों में खड़ी फसलों पर लदे फूल युवा वर्ग को नवाचार के लिए प्रेरित करेंगे। कहा जाता है हिंदी के पुरोधा कवि निराला को वसंत काफी प्रिय था, इसलिए वे इस ऋतु के आगमन पर ही अपना जन्मदिन मनाते थे। बड़ा प्रमाण उनके काव्य संग्रह में मिलता है। उन्होंने संग्रह में सर्वाधिक स्थान वसंत को ही दिया। इस दिन पीले वस्त्र पहन मां सरस्वती के पूजन की भी परंपरा है।

दिन भर शुभ मुहूर्त, खरीदारी और होंगे मांगलिक कार्य

वसंत पंचमी के दिन स्वयं सिद्ध मुहूर्त होने से कई शुभ एवं मांगलिक कार्य होंगे। इस दौरान सामूहिक विवाह के साथ ही गृह प्रवेश, प्रतिष्ठान का शुभारंभ व आभूषणों की खरीद भी लाेग करते है। पंचमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग के साथ ही बुध ग्रह मकर राशि में हैं, जिस कारण बुद्घादित्य योग का निर्माण हो रहा है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी कहा जाता है। यह दिन ऋतुओं के राजा वसंत के आगमन का होता है। शनिवार को वसंत पंचमी का प्रारंभ सुबह 3:47 बजे हुआ और इस तिथि का समापन छह फरवरी को सुबह 3:47 बजे पर होगा। पूरे दिन पंचमी तिथि रहेगी।

मां सरस्वती की होती है पूजा

वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा भी की जाती है। भगवान कृष्ण ने इसी दिन देवी सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था। इस दिन देवी सरस्वती की प्रतिमाएं स्थापित कर पूजा भी की जाती है। इसमें श्रद्घालु पीले फूल और पीले मिष्ठान्न से देवी को भोग लगाते हैं। पूजन की विधि के अनुसार देवी सरस्वती की प्रतिमा पीले कपड़े पर स्थापित कर रोली, हल्दी, केसर पीले फूल, पीली मिठाई से पूजन किया जाता है। श्रद्घालु इस दौरान पीले वस्त्र धारण कर पीली वस्तुओं का दान करते हैं।

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