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PM Modi: आजादी के अमृत महोत्सव की शुरुआत, PM बोले- राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व, अहिल्याबाई और रानी चेन्नम्मा को किया याद

PM narendra address national launch of azadi ke amrit mahotsav se swarnim bharat ki ore via video conference: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ देश में आज (गुरुवार) से ‘आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर’ कार्यक्रम की शुरुआत हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि यह कार्यक्रम स्वर्णिम भारत के लिए भावना और साधना है। उन्होंने कहा, ‘इसमें देश के लिए प्रेरणा और ब्रह्मकुमारियों के प्रयास भी हैं।’

राष्ट्र की प्रगति हमारी प्रगति

पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्र की प्रगति में ही हमारी प्रगति है। हमसे ही राष्ट्र का अस्तित्व है और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है। उन्होंने कहा, ‘ये भाव और बोध नए भारत के निर्माण में हम भारतवासियों की सबसे बड़ी ताकत बन रहा है।’ देश जो कुछ कर रहा है उसमें सबका प्रयास शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं, जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो। हम एक ऐसे भारत को उभरते देख रहे हैं, जिसकी सोच और अप्रोच नई है। जिसके निर्णय प्रगतिशील हैं।

मीराबाई और पन्नाधाय जैसी महान नारियां हुई

पीएम मोदी ने कहा, ‘दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी।’ महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा, देवी के रूप में करता था। हमारे यहां गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियां समाज को ज्ञान देती थीं। उन्होंने कहा कि कठिनाइयों से भरे मध्यकाल में भी इस देश में पन्नाधाय और मीराबाई जैसी महान नारियां हुईं। अमृत महोत्सव में भारत जिस स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को याद कर रहा है। उसमें भी कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिए हैं।

देवियों ने भारत की पहचान बनाए रखी

उन्होंने कहा कि कित्तूर की रानी चेन्नम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, अहिल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक, इन देवियों ने भारत की पहचान बनाए रखी। आज देश लाखों स्वाधीनता सेनानियों के साथ नारी शक्ति के योगदान को याद कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा, अमृत काल का ये समय हमारे ज्ञान, शोध और इनोवेशन का समय है। हमें ऐसा भारत बनाना है जिसकी जड़ें प्रचीन परंपराओं और विरासत से जुड़ी होगी। जिसका विस्तार आधुनिकता के आकाश में अनंत तक होगा।

 

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