Supreme court directs maharashtra govt to submit data on obc- reservation issue: digi desk/BHN/नई दिल्ली/सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को पिछड़ी जातियों से संबंधित आंकड़े राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एसबीसीसी) को सौंपने का निर्देश दिया है। इससे स्थानीय निकायों में पिछड़ी जातियों के आरक्षण के संबंध में सरकार की सिफारिश की सच्चाई जानी जा सकेगी। शीर्ष न्यायालय ने एसबीसीसी को निर्देश दिया है कि वह राज्य सरकार से सूचनाएं मिलने के दो हफ्ते के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपे।
इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट से कहा था कि वह उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार ही सरकार को निकाय चुनाव कराने की अनुमति दे। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएम खानविल्कर की अगुआई वाली जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की दलील को स्वीकार नहीं किया। कहा कि जब राज्य सरकार ने खुद सामाजिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़े हुए लोगों की जानकारी एकत्रित की है तो फिर उनके अनुसार प्रक्रिया क्यों नहीं आगे बढ़नी चाहिए।
पीठ ने 2010 के सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उसमें जिस तीन तरह की परीक्षण प्रक्रिया की बात कही गई है, उसका पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने में महाराष्ट्र में पालन नहीं हुआ है। जबकि अन्य कई राज्यों ने इस प्रक्रिया का पालन करते हुए स्थानीय निकायों में आरक्षण व्यवस्था लागू की है।
अगर महाराष्ट्र में यह प्रक्रिया लागू नहीं हुई है और जल्द चुनाव कराना आवश्यक है तो सीटें अनारक्षित घोषित कर चुनाव कराए जा सकते हैं। सुनवाई में स्वतंत्र रूप से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने कहा, पिछड़ा वर्ग को संस्थाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है। इसलिए पीठ ने उनके कल्याण के लिए आयोग के जरिये जिस प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया है, वह सर्वथा उचित है।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई है जिसमें चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के प्रयोग की इजाजत देने वाले जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा-61ए को असंवैधानिक घोषित किए जाने की मांग की गई है। याचिका में वकील एमएल शर्मा ने कहा कि यह धारा कभी भी संसद से पारित नहीं हुई। लिहाजा यह असंवैधानिक है और इसका प्रयोग खत्म किया जाए। उनकी दलील पर प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना ने पूछा कि आप ईवीएम नहीं चाहते? शर्मा ने कहा कि वह कानून की बात कर रहे हैं।