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Loan Alert: रिजर्व बैंक फिर देगा झटका, इस साल महंगा हो सकता है लोन, जानिए क्यों 

Home Loan Alert: digi desk/BHN/नई दिल्ली/   साल 2022 में होम लोन, कार लोन और अन्य लोन महंगे एक बार फिर महंगे होने की आशंका है क्योंकि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रेपो और रिवर्स रेपो रेट जैसी नीतिगत दरों को 100 बेसिस पॉइंट तक बढ़ा सकता है। आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में जानकारी दी है कि पड़ोसी देशों पाकिस्तान और श्रीलंका ने नीतिगत दरों में वृद्धि की है। ऐसे में संभावना है कि भारत जल्द ही ब्याज दरें बढ़ाना शुरू कर देगा और RBI 2022 में नीति दर में 100 आधार अंकों की वृद्धि कर सकता है और इसका कम से कम अल्पावधि में इक्विटी और बॉन्ड दोनों बाजारों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

मुद्रास्फीति में लगातार तीसरे महीने हुई बढ़ोतरी
दिसंबर 2021 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति लगातार तीसरे महीने बढ़कर 5.6 प्रतिशत हो गई, लेकिन सामान्य धारणा से कम थी। नवंबर 2021 में खाद्य मुद्रास्फीति 1.9 प्रतिशत से बढ़कर 4 प्रतिशत हो गई। हालांकि मुद्रास्फीति कुछ खास सेक्टर में ही बढ़ी है, लेकिन दिसंबर 2021 में थोड़ा कम होकर 6 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्थिर सकल घरेलू उत्पाद और औद्योगिक विकास दर के बावजूद बढ़ती मुद्रास्फीति को देखते हुए RBI निकट भविष्य में 2022 में नीतिगत दर में 100 बीपीएस की वृद्धि शुरू कर सकता है। इसमें कहा गया है कि 100 देशों में से लगभग 40 प्रतिशत ने पहले ही नीतिगत दरों में औसतन 150 बीपीएस की वृद्धि की है।

अन्य देशों की तुलना में भारत में मुद्रास्फिति ज्यादा

अधिकांश देशों की तुलना में भारत में मुद्रास्फीति उच्च स्तर पर है। मुद्रास्फीति एक प्रमुख वैश्विक चिंता बन गई है और मुद्रास्फीति दर में वृद्धि को देखते हुए केंद्रीय बैंक कुछ कार्रवाई कर सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 100 में से लगभग 40 देशों ने नीतिगत दरों में औसतन 150 आधार अंकों की वृद्धि की है। दरों में बढ़ोतरी अब तक पूर्वी यूरोप और दक्षिण अमेरिका में अधिक रही है, और इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया जैसे एशियाई देशों में दरों में बढ़ोतरी शुरू हो गई है। बीते 12 माह के अच्छे प्रदर्शन नहीं होने और कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में अपेक्षित बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने की संभावना है। ईंधन क्षेत्र में गिरावट की उम्मीद है और मुद्रास्फीति अगले 12 महीनों में औसतन लगभग 5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

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