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Mokshada Ekadashi: जानिए इस व्रत का विधान, कैसे करें पूजन-आराधना

Mokshada ekadashi today know the law of this fast how to worship the god: digi desk/BHN/भोपाल/आज मोक्षदा एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन गीता का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। इसे गीता एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी के व्रत से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। एकादशी के व्रत का असर मरने के बाद तक रहता है। राजधानी में स्‍थित मां चामुंडा दरबार के पुजारी पंडित रामजीवन दुबे ने बताया कि एकादशी तिथि का शुभारंभ 13 दिसंबर दिन सोमवार को रात 9:32 मिनट से हो रहा है। एकादशी तिथि अगले दिन 14 दिसंबर को रात 11:35 मिनट तक है। व्रत के लिए उदयातिथि ही मान्य होती है, इसलिए मोक्षदा एकादशी का व्रत 14 दिसंबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा। सर्वार्थ सिद्धि एवं अमृत सिद्धि योग में व्रत रखा जाएगा। मंगलवार का दिन होने से श्री हनुमान मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ रहेगी। भगवान को चोला चढ़ाकर श्रृंगार किया जाएगा। श्री हनुमान चालीसा एवं सुंदर कांड पाठ के साथ आरती एवं प्रसाद वितरण के आयोजन होंगे। हिंदू धार्मिक मान्‍यताओं में एकादशी का विशेष महत्व माना गया है।

वहीं ज्योतिषाचार्य पं जगदीश शर्मा ने बताया कि मोक्षदा एकादशी के दिन जो भी मन से पूजन करता है, उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की तुलसी की मंजरी, धूप और दीपों से पू्जा की जाती है। मान्यता हैं कि जो साधक यह व्रत रखता है, उसके लिए स्वर्ग के रास्ते खुल जाते हैं। मोक्षदा एकादशी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत गीता का उपदेश दिया था।

ऐसे करें एकादशी पूजन
एकादशी के दिन पूजा करने वाले को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा जरूर करना चाहिए। मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें व कथा पढ़ें। सभी पूजा विधि संपन्न करने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें। मोक्षदा एकादशी के दिन श्रीमद्भागवत गीता का पाठ करना शुभ फलदायी माना गया है।

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