Sunday , November 24 2024
Breaking News

MP: हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने से किया इंकार

High court refused to stay the panchayat election process: digi desk/BHN/जबलपुर/हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव मामले में अन्तरिम राहत देने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने ग्वालियर बेंच में जस्टिस रोहित आर्या की अध्यक्षता वाली युगलपीठ द्वरा पूर्व में अन्तरिम राहत की अर्जी खारिज करने के बिंदु को ध्यान में रखते हुए मांग नामंजूर कर दी। इससे पूर्व वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने बहस की। अन्ततः उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता खुला होने का मत व्यक्त किया। राज्य के पंचायत चुनाव को लेकर दायर विभिन्न याचिकाओं की गुरुवार नौ दिसंबर को एक साथ सुनवाई हुई। इस मामले में सर्वप्रथम अधिवक्ता महेंद्र पटेरिया फिर ब्रम्हेंद्र पाठक व वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, शशांक शेखर और अंत में आदर्शमुनि त्रिवेदी एसोसिएट की ओर से याचिकाएं दायर की गई थीं। राज्यपाल द्वारा अध्यादेश जारी कर पंचायत अधिनियम में किए गए संशोधन की संवैधानिक वैधता काे हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई है। इस मामले की सुनवाई पूर्व से विचाराधीन पंचायत चुनाव संबंधी अन्य याचिकाओं के साथ संयुक्त रूप से होगी।

ये हैं याचिकाकर्ता 

याचिकाकर्ता रोहिणी प्रसाद शर्मा सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता आशीष त्रिवेदी, असीम त्रिवेदी, संजय कुमार शर्मा, जयंत पटेल, अपूर्व त्रिवेदी व रितेश शर्मा पैरव करेंगे। उन्होंने अवगत कराया कि याचिका में प्रश्न खड़ा किया गया है कि जब अध्यादेश जारी करने संबंधी आपातकालीन परिस्थितियां विद्यमान नहीं थीं, तो अध्यादेश क्यों जारी किया गया। बिना नवीन आरक्षण पंचायतों के निर्वाचन की प्रक्रिया भी असंवैधानिक मानी जाएगी। याचिका के जरिये राज्यपाल द्वारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 के अंतर्गत पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम में अध्यादेश के द्वारा धारा 9-ए का प्रविधान प्रविष्ट करने की संवैधानिकता को कठघरे में रखा गया हैं। याचिकाकर्ताओं के अनुसार राज्यपाल के समक्ष ऐसी कोई तात्कालिक आपात परिस्थितियां विद्यमान नहीं थीं जिसके कारण पूर्ववत आरक्षण की स्थिति को निरंतर किया गया है। दूसरी ओर चुनाव आयोग के द्वारा पूर्व के आरक्षण के आधार पर पंचायतों के निर्वाचन की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। यदि उक्त अध्यादेश विधानसभा में पारित न हो सका या स्वयं कालातीत हो गया तो इसके कारण निर्वाचन परिणामों पर गंभीर संवैधानिक प्रश्न उत्पन्न हो जाएंगे। याचिकाओं में यह भी आधार दिया गया है कि भारत के संविधान के 73वें संशोधन के पीछे निहित उद्देश्य यह था कि पंचायती राज निकायों में विभिन्न कमजोर वर्गों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व संभव हो सके और इसी कारण अनुच्छेद 243 दी में रोटेशन की व्यवस्था की गई है।हाई कोर्ट ने भी अनुच्छेद 243 डी की व्याख्या करते हुए अपने एक फैसले में प्रतिपादित किया है कि रोटेशन का उद्देश्य है कि आरक्षण एक निर्वाचन क्षेत्र में स्थाई न बने और विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व बना रहे। पूर्व के निर्वाचन की आरक्षण की स्थिति पर निर्वाचन कराना संवैधानिक मंशा के विपरीत है।

About rishi pandit

Check Also

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने अपने बयान में चुनावी प्रक्रिया को ‘महायज्ञ’ करार देते हुए हिंदू समाज को एकजुट होने की अपील

छतरपुर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री शनिवार को अपने एक बयान में …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *