Along with studies children should be associated with at least one sport the parliamentary committee attached to the ministry of education: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ शिक्षा और युवा मामले के मंत्रालय से जुड़ी संसदीय समिति ने पढ़ाई के साथ बच्चों को कम से कम किसी एक खेल से जोड़ने की अहम सिफारिश की है। समिति का कहना है कि इसके लिए प्रत्येक जिले में एक मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाना चाहिए, जहां बच्चे अपनी रुचि के मुताबिक किसी भी खेल का प्रशिक्षण ले सकें। फिलहाल जिले के सभी निजी स्कूलों को आदर्श आवासीय खेल स्कूलों के रूप में विकसित करने की सिफारिश की गई है। साथ ही सरकार से भी कहा है कि वह इस दिशा में योजना बनाए। बच्चों को खेलों से जोड़ने की कुछ ऐसी ही पहल नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में भी की गई है, जिसमें वर्ष 2025 तक देश भर के सभी स्कूलों को कुछ इस तरह से तैयार करने की सिफारिश की गई है, जहां खेल, कला व व्यावसायिक शिक्षा देने के लिए विशेष प्रशिक्षक मौजूद हों।
स्कूली स्तर से ही बच्चों में खेलों के प्रति रुझान बढ़ाना है इसका उद्देश्य
सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को इस दिशा में पहल तेज करने को कहा गया है। एनईपी का मानना है कि मौजूदा समय में स्कूलों में खेल, कला और संगीत की शिक्षा तो दी जाती है, लेकिन इसका प्रशिक्षण देने के लिए कोई प्रशिक्षक नहीं होता है। इन सभी की पढ़ाई स्कूल में ऐसे शिक्षकों से कराई जाती है जिनकी इन क्षेत्रों में कोई रुचि या अनुभव नहीं होता है।समिति का मानना है कि खेलों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर जुटाने का काम निजी स्कूल बेहतर कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए सरकार को एक योजना तैयार करनी चाहिए।
निजी स्कूलों को आदर्श आवासीय खेल स्कूल के रूप में किया जाए विकसित
इसके तहत सभी निजी स्कूलों को आदर्श खेल स्कूलों के रूप में तैयार किया जाना चाहिए। इन स्कूलों को सरकारी स्कूलों से भी जोड़ा जाना चाहिए ताकि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाला बच्चा भी रुचि के मुताबिक खेलों को सीख सके। गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश भर के स्कूलों में समग्र शिक्षा योजना के तहत खेलों से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर को जुटाने के लिए एकमुश्त राशि दी जाती है जो जूनियर और माध्यमिक स्तर पर अलग-अलग होती है। स्कूलों को हर वर्ष दस से पंद्रह हजार रुपये खेलों से जुड़ी सामग्री खरीदने के लिए दिए जाते हैं।