Sanyukt kisan morcha call meeting on dec 4 may be end kisan andolan: digi desk/BHN/नई दिल्ली/सोनीपत/अगर कुछ अप्रत्याशित नहीं हुआ तो आगामी चार दिसंबर को कुंडली बार्डर पर होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की बैठक में आंदोलन खत्म करने का एलान हो सकता है। मोर्चा के नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि अगर चार दिसंबर तक सरकार मोर्चा की सभी मांगों को पूरा करती है तो उन्हें ठंड में सड़क पर बैठ कर आंदोलन करने का कोई शौक नहीं है। उस दिन बैठक में आंदोलन खत्म करने की घोषणा की जा सकती है। लेकिन, मांगें पूरी नहीं हुईं तो आगामी रणनीति पर निर्णय लिया जाएगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने बताया कि मोर्चा ने 21 नवंबर को छह मांगों को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। सरकार संसद में एमएसपी गारंटी कानून बनाने पर प्रतिबद्धता बताए। कमेटी गठित कर इसकी ड्राफ्टिंग क्लियर करे और समय सीमा तय करे। किसानों पर दर्ज मुकदमे रद करे, आंदोलन में मारे गए लोगों के आश्रितों को मुआवजा और उनका पुनर्वास, शहीद स्मारक बनाने को जगह दे तो फिर किसानों को इतनी भीषण ठंड में सड़कों पर बैठकर आंदोलन करने का शौक नहीं है। उनके साथ बहुत बड़ी संख्या में बुजुर्ग हैं, ठंड में सभी को परेशानी हो रही है।
उन्होंने बताया कि मांगें पूरी होते ही चार दिसंबर को आंदोलन समाप्ति की घोषणा कर दी जाएगी। बैठक का एजेंडा तयकोहाड़ ने बताया कि चार दिसंबर की बैठक का एजेंडा तय है। उस दिन तक शेष रहीं मांगों को लेकर मोर्चा के नेता फैसला लेंगे। तय करेंगे कि आंदोलन का स्वरूप क्या रहेगा, आंदोलन कैसे चलेगा। सरकार के सकारात्मक आश्वासन पर विचार किया जा सकता है लेकिन हवा-हवाई और मौखिक बातों को मोर्चा नहीं मानेगा।
32 में से 29 संगठन आंदोलन खत्म करने के पक्ष में
आंदोलन में शामिल पंजाब के 32 संगठनों में से ज्यादातर अब आंदोलन खत्म कर घर वापसी के पक्ष में हैं। इनके नेता अंदरखाते स्वीकार कर रहे हैं कि अगर सरकार मोर्चा की मांगों पर सकारात्मक रुख अपना रही है तो अब आंदोलन चलाने का फायदा नहीं है।
किसान नेता सुरजीत सिंह फूल, जगजीत सिंह दल्लेवाल और बलदेव सिरसा चाहते हैं कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन खत्म नहीं हो। वहीं, 29 संगठनों के नेता आंदोलन को अब लंबा चलाने के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन, अधूरी मांगों के साथ भी घर जाने को तैयार नहीं हैं। कोहाड़ ने बताया कि मोर्चा के नेता एकराय हैं। मोर्चा के फैसले से पहले कोई घर नहीं जा रहा।