Utpanna Ekadashi 2021: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह मंगलवार 30 नवंबर को मनाई जा रही है। शास्त्रों में उत्पन्ना एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान श्रीहरि की आराधना करने से सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। मान्यताओं के अनुसार उत्पन्ना एकादशी के दिन प्रभु की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने पर उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। मान्यता है कि अगर कोई जाकर इस व्रत को करें, तो उसे अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती हैं। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी व्रत का पौराणिक कथा।
उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से एकादशी की कथा बताने की इच्छा जताई। यह सुनकर श्रीकृष्ण ने कहा कि हे धर्मराज युधिष्ठिर मैं तुम्हें इसकी कथा सुनाता हूं। सुनों सतयुग में मुर नामक दैत्य ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अपना आधिपत्य जमा लिया था। तब तीनो लोक में हाहाकार मच गया। सभी देवता और ऋषि-मुनि अपनी व्यथा लेकर भगवान शिवजी के पास गए।
भगवान शंकर ने देवता और ऋषिगण को देखकर पूछा, आप लोग मेरे पास क्यों आए हैं। तब देवताओं ने अपनी सारी व्यथा भोलेनाथ को बताई। तब शिवजी ने कहा कि इस समस्या का समाधान सिर्फ भगवान विष्णु कर सकते हैं। तत्पश्चात देवता और ऋषि भगवान श्री हरि के पास गए और उन्हें आने का कारण बताया। भगवान श्री हरि कालांतर में असुर मुर के कई सेनापति का वध कर दिया और विश्राम करने के लिए बद्रिकाश्रम चले गए।
सेनापतियों के मरने पर राक्षस मुर क्रोधित हो गया। वह श्री हरि को मारने बद्रिकाश्रम पहुंच गया। वहां भगवान विष्णु विश्राम कर रहे थे। तब विष्णु जी के शरीर से एक कन्या उत्पन्न हुई। उस कन्या के हाथों असुर मुर मारा गया। युद्ध के बाद भगवान विष्णु निद्रा अवस्था से जागे और कन्या को देखकर बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने उस कन्या को एकादशी के नाम से बुलाया। तब से उत्पन्ना एकादशी की शुरुआत हो गई।