Padmak Yog on Kartik Purnima: digi desk/BHN/ उज्जैन/ कार्तिक पूर्णिमा पर 19 नवंबर को पद्मक नामक योग बन रहा है। यह योग अतिविशिष्ट योगों की श्रेणी में आता है। इस योग में शिप्रा स्नान करने से तीर्थराज पुष्कर में स्नान करने के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। वर्षभर किए गए ज्ञात अज्ञात दोषों की निवृत्ति के लिए ऐसे दुर्लभ योग में तीर्थ स्नान व दीपदान करना श्रेष्ठ माना गया है।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार वर्षभर की 12 पूर्णिमा में कार्तिक पूर्णिमा सर्वश्रेष्ठ है। कार्तिक मास में जो श्रद्धालु शिप्रा स्नान अथवा दान पुण्य नहीं कर पाए हैं, वे पूर्णिमा पर शिप्रा स्नान कर धर्मलाभ ले सकते हैं। इस दिन पितरों के निमित्त तीर्थ पर दीपदान करने का विशेष महत्व है। इससे पितृलोक में वर्षभर पितरों का मार्ग आलोकित रहता है। पितृ प्रसन्न होकर अपने अग्रजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। पद्म पुराण के अनुसार पद्मक योग में किया गया कार्तिक स्नान जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति दिलाता है।
त्रिपुरोत्सव…मोक्ष को प्राप्त करते हैं जीव
कार्तिक पूर्णिमा पर संध्या काल में देव मंदिर या तीर्थ के आसपास मंदिरों में दीप प्रज्वलित करने से मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है। तीर्थ स्नान पर जल, वायु आदि में मौजूद जो भी जीव, कीट पतंगे आदि भी इन दीपों के प्रकाश को देख लेते हैं, तो उनका भी पुनः जन्म नहीं होता है। इसीलिए धर्मशास्त्रीय मान्यता में कार्तिक पूर्णिमा पर प्रदोषकाल में तीर्थ व देवालयों में दीपदान का विशेष महत्व है।
कार्तिकेय के दर्शन से मिलती है समृद्धि
कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान कार्तिकेय के दर्शन से मनुष्य को धन, संपदा व समृद्धि की प्राप्ति होती है। श्रद्धालुओं को वर्ष पर्यंत दरिद्रता नहीं होती है।