Kartikeya Temple : digi desk/BHN /ग्वालियर/जीवाजीगंज स्थित भगवान कार्तिकेय के मंदिर के पट 18 नवंबर रात 12 बजे खुलेंगे। मंदिर के पुजारी पंडित जमुना प्रसाद शर्मा ने बताया कि सबसे पहले एक वर्ष से बंद मंदिर की साफ सफाई कर धोया जाएगा। इसके बाद भगवान कार्तिकेय को स्नान करा कर श्रृंगार कर पूजा अर्चना की जाएगी। कार्तिक पूर्णिमा 19 नवंबर शुक्रवार सुबह 4 बजे से आम भक्तों के लिए मंदिर के पट खोल दिए जाएंगे, जो रात्रि 12 बजे बंद होंगे। मंदिर प्रांगण में भगवान कार्तिकेय के साथ-साथ हनुमान जी, गंगा, जमुना, सरस्वती और लक्ष्मीनारायण के मंदिर भी हैं। यहां प्रतिदिन भक्त पूजा अर्चना करते हैं, लेकिन वर्ष में कार्तिकेय मंदिर के पट साल में सिर्फ एक दिन पूर्णिमा पर खुलते हैं। इसी दिन भक्त भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना व दर्शन कर पाते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय के बीच एक प्रतियोगिता रखी। जिसमें दोनो में से जो तीनों लोक की परिक्रमा करके सबसे पहले अपने माता-पिता के पास आएगा वह प्रथम पूज्य हो जाएगा। उसकी पूजा सबसे पहले की जाएगी। जब प्रतियोगिता शुरू हुई तो भगवान गणेश ने माता-पिता की परिक्रमा लगाई, क्योंकि उनमें तीनों लोक समाहित हैं। इनकी इस बुद्धिमता से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनकी पूजा सभी देवी देवताओं से पहले होगी। जब कार्तिकेय तीनों लोक की परिक्रमा लगाकर वापस लौटे तो देखा कि गणेश जी की जय जयकार हो रही थी। सभी ने उन्हें प्रथम पूज्य मान लिया था। ये देख कार्तिकेय को बहुत क्रोध आया और खुद को एक गुफा में बंद कर श्राप दिया कि जो महिला उनके दर्शन करेगी विधवा हो जाएगी। साथ ही जो पुरुष उनके दर्शन करेगा, वह सात जन्मों तक नरक भोगेगा। इस श्राप के चलते हाहाकार मच गया। इसके बाद भगवान शिव ने कार्तिकेय को समझाया तो इनका क्रोध शांत हुआ। भगवान शिव ने वरदान दिया कि कार्तिकेय के जन्मदिन यानी कार्तिक पूर्णिमा पर उनके दर्शन किए जा सकेंगे, जो इस दिन उनके दर्शन कर पूजा करेगा उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इसलिए साल में एक दिन कार्तिकेय मंदिर के पट खुलते हैं।