Mann Ki Baat :newdelhi/ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 70वीं बार अपने ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम को संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा, आज विजयादशमी यानि दशहरे का पर्व है। इस पावन अवसर पर आप सभी को ढेरों शुभकामनाएं। दशहरे का ये पर्व, असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है, लेकिन साथ ही ये एक तरह के संकटों पर धैर्य की जीत का पर्व भी है। जब हम त्योहार की बात करते हैं, तैयारी करते हैं, तो सबसे पहले मन में यही आता है कि बाजार कब जाना है? इस बार जब आप खरीदारी करने जाएं तो ‘Vocal for Local’ का अपना संकल्प अवश्य याद रखें। बाजार से सामान खरीदते समय हमें स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता देनी है।
पीएम ने कहा, लॉकडाउन में हमने समाज के उन साथियों को और करीब से जाना है जिनके बिना हमारा जीवन बहुत मुश्किल हो जाता। कठिन समय में ये आपके साथ थे, अब अपने पर्वों में अपनी खुशियेां में भी हमें इनको साथ रखना है। हमें अपने उन जांबाज सैनिकों को भी याद रखना है जो त्योहारों में भी सीमाओं पर डटै हैं। भारत माता की सेवा और सुरक्षा कर रहे हैं। हमें उनको याद करके ही अपने त्योहार बनाने हैं। हमें घर पर एक दीया भारत माता के इन वीर बेटे-बेटियों के सम्मान में भी जलाना है। आज जब हम Local के लिए Vocal हो रहे हैं तो दुनिया भी हमारे Local products की fan हो रही है। हमारे कई Local products में Global होने की बहुत बड़ी शक्ति है।
मोदी ने क्या कहा
दिल्ली के Connaught Place के खादी स्टोर में इस बार गांधी जयंती पर एक ही दिन में एक करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी हुई। इसी तरह कोरोना के समय में खादी के मास्क भी बहुत popular हो रहे हैं। खादी की popularity तो बढ़ ही रही है साथ ही दुनिया में कई जगह खादी बनाई भी जा रही है।
मेक्सिको में एक जगह है ‘ओहाका (Oaxaca)’। इस इलाके में कई गांव ऐसे हैं जहां स्थानीय ग्रामीण खादी बुनने का काम करते हैं। आज जब हम Local के लिए Vocal हो रहे हैं तो दुनिया भी हमारे Local products की fan हो रही है। हमारे कई Local products में Global होने की बहुत बड़ी शक्ति है।
जब हमें अपनी चीजों पर गर्व होता है तो दुनिया में भी उनके प्रति जिज्ञासा बढ़ती है। जैसे हमारे आध्यात्म ने, योग ने पूरी दुनिया को आकर्षित किया है। हमारे कई खेल भी दुनिया को आकर्षित कर रहे हैं। कुछ ही दिनों बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जन्म जयंती, 31 अक्टूबर को हम सब ‘राष्ट्र्रीय एकता दिवस’ के तौर पर मनाएंगे। जरा उस लौह पुरुष की छवि की कल्पना कीजिए जो राजे-रजवाड़ों से बात कर रहे थे, पूज्य बापू के जन-आंदोलन का प्रबंधन कर रहे थे, साथ ही अंग्रेजों से लड़ाई भी लड़ रहे थे। इन सब के बीच भी उनका sense of humour पूरे रंग में होता था। बापू ने सरदार पटेल के बारे में कहा था- उनकी विनोदपूर्ण बातें मुझे इतना हंसाती थी कि हंसते-हंसते पेट में बल पड़ जाते थे। इसमें, हमारे लिए भी एक सीख है, परिस्थितियां कितनी भी विषम क्यों न हों, अपने sense of humour को जिंदा रखिये।