Pitru Paksha 2021: digi desk/BHN/अपने पितृों की याद का पावन पर्व है पितृपक्ष। पितृपक्ष के सोलह दिनों में पितृों के निमित्त कार्य किए जाते हैं। पितृों की आत्मा की शांति के लिए शास्त्रोक्त क्रियाकर्म किए जाते हैं। इसमें धूप लगाने से लेकर तर्पण, गौसेवा, कौओं और कुत्तों को खाना खिलाना और ब्राह्मण को सम्मानपूर्वक आमंत्रित कर भोजन करवाना और उसके बाद ससम्मान यथोचित दक्षिणा देकर विदा करना है। शास्त्रों में ब्राह्मणों को भोजन करवाने के खास विधान दिए गए हैं। जिसका पालन करने से पितृ भी तृप्त होते हैं और ब्राह्मण भी प्रसन्न होते हैं।
ब्राह्मणों को सम्मान के साथ करें आमंत्रित
श्राद्ध तिथि के दिन सर्वप्रथम विद्धान कर्मकांड करने वाले ब्राह्मण को भोजन पर आदर के साथ आमंत्रित करें। आमंत्रित ब्राह्मण को भोजन के लिए दक्षिण दिशा में बैठाएं, क्योंकि शास्त्रों में पितृकर्म के लिए दक्षिण दिशा का प्रावधान किया गया है। दक्षिण दिशा में पितृों का वास होता है। इसके लिए हाथ में जल, अक्षत, फूल और तिल लेकर संकल्प करें। पितृों के निमित्त धूप लगाने बाद कुत्ते, गाय, कौए, चींटी और देवता को भोजन करवाएं और उसके बाद ब्राह्मणों के लिए ब्रह्मभोज का आयोजन करें।
दोनों हाथों से परोसे भोजन
ब्रह्मभोज के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि भोजन को दोनों हाथों से परोसे। शास्त्रों से अनुसार एक हाथ से परोसा गया भोजन राक्षस छीनकर ले जाते हैं। श्राद्ध के दौरान ब्राह्मण को भोजन करवाना अनिवार्य है। बगैर ब्राह्मणभोज के पितृ भोजन ग्रहण नहीं करते हैं और श्राप देकर वापस लौट जाते हैं। ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद उनको वस्त्र, अनाज और यथोचित दक्षिणा देकर विदा करना चाहिए।
ब्रह्मभोज के बाद स्वयं भोजन करें
ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद उनको सम्मानपूर्वक द्वार तक विदा करें। मान्यता है कि ब्राह्मणों के साथ पितृों की भी विदाई होती हैं। ब्राह्मणों के बाद आमंत्रित मेहमानों को भोजन करवाए और स्वयं भोजन ग्रहण करें। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रहे कि यदि श्राद्ध के दौरान बहन, दामाद और भानजे उपस्थित है तो उनको भी समामानपूर्वक भोजन करवाएं, क्योंकि उनको भोजन नहीं करवाने पर पितृ भोजन ग्रहण नहीं करते हैं। कुत्ते और कौए का भोजन कुत्ते और कौए को ही खिलाएं। देवता और चींटी का भोजन जरूर गाय को खिला सकते हैं।