Sunday , July 7 2024
Breaking News

माँ शारदा की ड्योढ़ी पर दूसरे दिन भी भक्तों का तांता, पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ श्रद्धालु कर रहे दर्शन

मैहर, भास्कर हिंदी न्यूज़। शारदीय नवरात्रि के दूसरे दी मैहर स्थित माँ शारदा के धाम में श्रद्धालुओं का माँ के दरबार मे दर्शन करना जारी है। माता के दर्शनों के लिए सुबह चार बजे से ही श्रद्धालु कतार में लग जाते हैं। माता के जयकारों से सुबह से ही समूचा मंदिर परिसर गूंजने लगता है और यह क्रम माँ शारदा के पट बन्द होने तक अनवरत जारी रहता है। मैहर त्रिकूट पर्वत पर विराजमान विद्या और बुद्धि की देवी मैहर की जगत जननी मां शारदा के आज नवरात्रि के द्वितीय दिन के दिव्य दर्शन एवं महाआरती माता का भव्य श्रृंगार मां शारदा मंदिर के प्रधान पुजारी पवन पांडे द्वारा किया गया।

क्या है महत्व


चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन विजय प्राप्ति के लिए मां ब्रम्हचारिणी की आराधना के लिए जाना जाता है।
शिवजी को प्राप्त करने के लिए पार्वती देवी ने बेल-पत्र खाकर और निर्जल रहकर तपस्या की इसलिए इन्हें ब्रह्मचारिणी भी कहा जाता है। ब्रह्मचारिणी देवी की पूजा नवरात्रि के दूसरे दिन की जाती है। देवी ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योर्तिमय है। ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं। तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा इनके अन्य नाम हैं। इनकी पूजा करने से सभी काम पूरे होते हैं, रुकावटें दूर हो जाती हैं, और विजय की प्राप्ति होती है। इसके अलावा हर तरह की परेशानियां भी खत्म होती हैं। देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।

माता का स्वरूप

देवी ने शिवजी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए हजारों सालों तक बेल-पत्र और फिर निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की। जिसके कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया। इनके दाहिने हाथ मे जप की माला होती है और बांए हाथ मे कमंडल रहता है। देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है अर्थात तपस्या का मूर्तिमान रूप है। ये देवी भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायनी, विष्णुमाया और पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी के नाम से प्रसिद्ध है।

पूजा विधि

देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें।
इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें।
देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं। इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं और इन मंत्रों से प्रार्थना करें।

1. या देवी सर्वभू‍तेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

2. दधाना कर पद्माभ्याम* *अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मई ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

इसके बाद देवी मां को प्रसाद चढ़ाएं और आचमन करवाएं। प्रसाद के बाद पान सुपारी भेंट करें और प्रदक्षिणा करें यानी 3 बार अपनी ही जगह खड़े होकर घूमें। प्रदक्षिणा के बाद घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें। इन सबके बाद क्षमा प्रार्थना करें और प्रसाद बांट दें।

About rishi pandit

Check Also

Satna: जिले में अब तक 107.8 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज

सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ जिले में इस वर्ष 1 जून से 4 जुलाई 2024 तक 107.8 …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *