होशंगाबाद। । शहर के बीचोंबीच तहसील के पीछे स्थित मोती माता और शीतला माता का प्रसिद्घ देवी स्थान 50 वर्षों से अधिक पुराना है। मान्यता है की मोती माता का जिले में यही एकमात्र स्थान है। जहां पर जल चढ़ाने से मोतीझिरा से पीड़ित व्यक्ति ठीक हो जाते हैं।यहां पर शारदीय और चैत्रीय दोनों नवरात्र के दिनों में देवी मां की विशेष आराधना होती है।
इस स्थान के बारे में बताया जाता है कि मूल रूप से ये राठौर समाज की कुल देवी है। प्राचीन समय में बुजुर्ग घर में मोतीझिरा की बीमारी होने पर तहसील के पीछे मढ़िया में विराजमान देवी प्रतिमा पर जल चढ़ाने आते थे। जिससे उन्हें पूरा स्वास्थ्य लाभ मिलता था।इसी कारण इस देवी मां का नाम मोती माता के नाम से प्रसिद्ध हो गया। पहले जरूर यहां छोटी मढ़िया थी लेकिन अब इस स्थान पर बढ़िया मंदिर बन गया है। यहां बारह महिने भजन-कीर्तन और अनेक धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
मंदिर बनवाने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रकाश तिवारी और कपिल चौकसे का कहना है कि मोती माता के साथ अब इस स्थान पर शीतला माता, माता महाकाली, भगवान भोलेनाथ, भगवान गणेश, भैरों बाबा और हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित किए जाने से अब शहर के बीचों बीच यह एक बड़ा धार्मिक और आकर्षक स्थान बन चुका है। नवरात्र के दिनों में ज्योति व जवारे की स्थापना की जाती है।
मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि मंदिर में शासन प्रशासन के द्वारा जारी किए गए नियमों पालन किया जाएगा।प्रमुख पर्वाें पर होते हैं धार्मिक आयोजन मंदिर से जुड़े हर्ष तिवारी और कपिल चौकसे ने बताया कि माता के मंदिर में प्रमुख पर्वों पर धार्मिक कार्यक्रमों का सिलसिला हमेशा जारी रहता है। धार्मिक उत्सवों के अलावा दोनों नवरात्र महोत्सव पर विशेष आयोजन होते हैं। शरद पूर्णिमा, नर्मदा जयंती महाशिवरात्री, और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भजन पूजन व भंडारे का आयोजन किया जाता है