Corona can bring a new wave of diabetes: digi desk/BHN/ कोरोनाकाल में सबसे ज्यादा खतरा डायबिटीज के मरीजों को ही था। ऐसे लोग जिन्हें पहले से डायबिटीज और ब्लड प्रेसर या शुगर जैसी बीमारी थी, उनके शरीर में कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा था और लोगों की मौत की संभावना भी बहुत ज्यादा थी, लेकिन अब कोरोना के मरीजों को डायबिटीज का खतरा हो गया है। कोरोना से ठीक होकर लौटे मरीजों का शुगर लेवल बहुत ज्यादा पाया गया है। कोरोना से ठीक होने के महीनों बाद भी इन मरीजों को शुगर लेवल कम नहीं हो रहा है, जो कि चिंता का विषय है।
बॉस्टन चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने कोरोना से ठीक हुए 551 लोगों के स्वास्थ्य पर निगरानी रखी थी। ये लोग मार्च, अप्रैल और मई 2020 में इटली में कोरोना संक्रमण का शिकार हुए थे। इसके बाद उन्होंने कोरोना को हराया पर ठीक होने के महीनों बाद भी उनके शरीर का शुगर लेवल कम नहीं हुआ।
46 फीसदी लोगों को डायबिटीज की शिकायत
इस स्टडी को लीड करने वाले डॉक्टर पॉलो के अनुसार कोरोना से ठीक हुए जिन मरीजों को पहले से डायबिटीज की कोई शिकायत नहीं थी। उनमें से 46 फीसदी मरीजों के अंदर hyperglycemia के लक्षण पाए गए। हालांकि इनमें से अधिकतर लोगों की समस्या जल्द ही समाप्त हो गई पर इनमें से लगभग 35 फीसदी लोग कम से कम 6 महीने तक hyperglycemia से जूझते रहे। इसके साथ ही इन मरीजों को मेडिकल देखरेख की जरूरत भी ज्यादा थी और इन्हें लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रखना पड़ा। इनके अंदर ज्यादा गंभीर लक्षण थे और इन्हें ऑक्सीजन की जरूरत भी ज्यादा थी। साथ ही इन्हें वेटिलेसन और बेहतर केयर की जरूरत भी थी। इन मरीजों के अंदर हार्मोन्स का स्तर भी सामान्य नहीं था।
अग्न्याशय पर भी असर डालता है कोरोना
फियोरिना ने बताया कि यह स्टडी इस बात की पुष्टि करती है कि कोरोना अग्न्याशय पर भी असर डालता है। जब मरीज अस्पताल में भर्ती रहते हैं तब तो यह असर करता ही है, बल्कि ठीक होने के बाद भी अग्न्याशय पर इसके गंभीर प्रभाव पड़ते हैं और यह लंबे समय तक रहते हैं। इससे मरीजों का स्वास्थ्य लंबे समय तक प्रभावित होता है। इस स्टडी में यह भी बताया गया कि कोरोना के चलते अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के अग्न्याशय का ध्यान रखना कितना जरूरी है, वरना लंबे समय में उन्हें बड़ा नुकसान हो सकता है।