Good news: digi desk/BHN/ग्वालियर/मां के अचानक चले जाने के बाद घर सूना हो गया। 10 माह के बाद भी जब मां का पता नहीं चला तो बेटे ने मां को खोजने के लिए पोस्टर छपवाए। थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। मंदिर, गुरुद्वारे और आश्रमों में खोजा पर पता नहीं चल पाया। जब ग्वालियर जिले के डबरा से अचानक फोन पहुंचा और मां के होने की सूचना मिली तो बेटे की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह सीधा अपने ऑफिस से मां को लेने करीब 100 किमी दूर स्कूटर से ही लेने चला आया। जब अपना घर आश्रम में 10 महीने से लापता मां को देखा तो बेटे और मां दोनों ही फूट-फूटकर रो पड़े। बाद में सभी को धन्यवाद देकर राहुल अपनी मां को लेकर अपने गांव चला आया। दो दिलों को सुकून देने वाली ये हकीकत उत्तर प्रदेश झांसी के हरदौलपुरा बड़ागांव निवासी राहुल कुशवाह और उसके मां शगुन बाई से जुड़ी है।
दरअसल शगुन बाई की दिमागी हालत ठीक नहीं थी। इस कारण वह करीब 10 महीने पहले घर से लापता हो गईं थी। ग्वालियर जिले के डबरा स्थित अपना घर आश्रम से कॉल कर आश्रम में मां के होने की सूचना मिलते ही बेटा राहुल बिना समय गंवाए अपने कोरियर के ऑफिस से तत्काल स्कूटर से चला 100 किमी का सफर तय कर चला आया। बीच में बारिश भी झेलनी पड़ी लेकिन वो जल्द ही अपनी मां के पास पहुंचना चाहता था। जहां से वह अपनी मां को स्कूटर से ही घर वापस ले गया। राहुल से उन लोगों को सीख लेनी चाहिए तो अपने माता पिता को बोझ समझकर वृद्धाश्रमों में छोड़ जाते हैं।
कचरा और पन्नियां बीनती मिली शगुन
अपना घर आश्रम के संयोजक मनीष पांडेय कहते हैं कि दतिया मंडी परिसर में एक महिला की सूचना मिली थी। जो वहां कचरे के ढेर पर सामान और पन्नियां बीनती बताई गई थी। अपना घर आश्रम की टीम मौके पर पहुंची तो वह भागने लगी। टीम के पीछे डंडे लेकर पड़ी। मशक्कत करते हुए साथ ले आए और आश्रम में रख दिया। जहां वह करीब सात माह से रह रही थी। पहले उनका इलाज कराया गया। जब वह सामान्य सी हुई तब उन्होंने अपने गांव और बेटे का नाम बता पाईं। इतना बताते ही अपना घर टीम ने संपर्क साधा और सफलता मिल गई।
इनका कहना है
मां अचानक लापता हो गई थी। सभी जगह मां को खोजा पर नहीं मिली। हमने तो उम्मीद ही छोड़ दी। जब अचानक डबरा के अपना घर आश्रम से फोन आया और मां को देखा तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। सच कहूं तो मां के बिना घर सूना ही था।
– राहुल कुशवाह, शगुन का बेटा