Yogini Ekadashi 2021: digi desk/BHN/ पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। आज योगिनी एकादशी है और इसलिए इस व्रत को करने से भी विशेष फल मिलता है। ज्योतिष के मुताबिक योगिनी एकादशी व्रत की शुरुआत 4 जुलाई को शाम 7.55 मिनट से ही हो चुकी है, लेकिन उदया तिथि सोमवार को होने के कारण योगिनी एकादशी व्रत आज ही रखा जाएगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत अषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।
भगवान विष्णु की आराधना के लिए रखा जाता है एकादशी व्रत
गौरतलब है कि सभी एकादशी व्रत भगवान विष्णु की आराधना के लिए रखे जाते हैं और सभी का अपना विशेष महत्व है। योगिनी एकादशी को लेकर ऐसी धार्मिक मान्यता है कि इस दिन जो भक्त पवित्र मन से भगवान विष्णु के लिए व्रत रखते हैं, उनके सभी दुख दूर हो जाते हैं और सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा व्रत करने वाले जातक को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
योगिनी एकादशी पर ऐसे करें पूजा अर्चना
- योगिनी एकादशी व्रत के दिन घर की अच्छे से साफ सफाई करना चाहिए।
- नित्यकर्म और स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करें
- पूजा स्थान को गंगा जल से साफ करने के बाद भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें और प्रिय चीजों से श्रृंगार करें।
- भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले पुष्प और मिष्ठान अर्पित करें और धूप जलाकर व्रत प्रारंभ करें।
- इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि योगिनी एकादशी व्रत के दिन चावल खाने से परहेज करना चाहिए।
भगवान विष्णु की आरती
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥