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Satna: जिले के चिकित्सक जो कोरोना से लोगों को बचाने के लिए न थके, न थमें और न मानी हार

“डाक्टर्स डे पर विशेष”

 

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज/ एक जुलाई गुरुवार को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जायेगा। कोरोना महामारी के बीच जब लोग अपनों से दूरी बना रहे थे तब इन चिकित्सकों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए अपने परिवार को सुरक्षित रखने के साथ-साथ चिकित्सकीय कर्तव्यों को सर्वोपरि रखते हुए लोगों की जान बचाने के लिए जी-तोड़ मेहनत की और कोरोना जैसी खतरनाक आपदा को अंगूठा दिखाते हुए खुद को संक्रमण के खतरे में डाल कर लोगों की जान बचाई। “भास्कर हिंदी न्यूज परिवार” राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस पर ऐसे महान चिकित्सकों के प्रति आभार प्रकट करते हुए उनके कर्तव्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा करता है।

संक्रमित होने के बाद भी योद्वा की तरह डटे रहे- डा.अमर सिंह 
डॉ.अमर सिंह

जिला चिकित्सालय सतना के ईएनटी विशेषज्ञ एवं आरएमओ डा.अमर सिंह कोरोना की पहली और दूसरी लहर में कोरोना मरीजों की व्यवस्था संबंधी सभी दायित्वों का निर्वहन तन्मयता के साथ किया। पहली लहर मे ंही वे कोरोना संक्रमण की चपेट में आ गए। इलाज से स्वस्थ्य होकर पुन: मरीजों की व्यवस्थाओं में जुट गए। उन्होने बताया कि कोविड के दौरान जिला अस्पताल में बड़े अस्पताल की तरह मरीजों को सम्पूर्ण व्यवस्थाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया। डा. सिंह ने जिले वासियों से अपील की है कि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है इसलिए कोविड प्रोटोकॉल का पूर्णत: पालन करें।

खुद से ज्यादा नौनिहालों की चिंता कर डा.रुपेश गर्ग ने निभाया चिकित्सकीय धर्म
डॉ.रुपेश गर्ग

शहर के प्रख्यात शिशु रोग विशेषज्ञ डा. रुपेश गर्ग ने कोरोना काल में नौनिहालों की चिकित्सा के धर्म का पूरी तरह निर्वाह किया। इसके लिए उन्होंने खुद को भी जोखिम में डाला। राजेंद्र नगर स्थित क्लीनिक में जब लोग छोटे-छोटे बच्चों को कोरोना संक्रमण के बीच दिखाने लाते तो डा. रुपेश गर्ग के लिए बड़ी चुनौती होती थी कि चौतरफा फैल रहे कोरोना संक्रमण के बीच बच्चों को सुरक्षित चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई जाये। इसके लिए उन्होंने दिन में कई-कई बार क्लीनिक को सेनेटाइज करने का नियम बनाया। वे खुद पीपीई किट पहन कर क्लीनिक में रहते और बीमार बच्चों को लेकर आने वाले परिजनों के लिए मास्क लगाने तथा संक्रमण से बचाव की अपील करते। कोरोना आपदा के बीच मासूमों को सुरक्षित चिकित्सा उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती थी, बावजूद इसके उन्होंने अपने कर्तव्य का बखूबी निर्वहन किया।

कोरोनाकाल में डा. प्रवीण श्रीवास्तव ने तन्मयता से निभाई जिम्मेदारी
डॉ. प्रवीण श्रीवास्तव

जिला चिकित्सालय सतना पदस्थ जिला समन्वयक एवं आईएमए के अध्यक्ष डा. प्रवीण श्रीवास्तव ने भी कोरोना काल में दिन-रात कठिन परिश्रम कर सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन पूरी तन्मयतापूर्वक किया। कोरोनाकाल की दोनों लहरों में अपना अनुभव साझा करते हुए उन्होने बताया कि कोविड के पहले दौर में 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग ज्यादा प्रभावित हुए थे, इनकी मौते भी हुई थी। जबकि दूसरी लहर में 20 से 50 आयु वर्ग के युवा अधिक प्रभावित हुए हैं और मौते भी ज्यादा हुई हैं। डा. श्रीवास्तव ने बताया कि टीकाकरण का असर बहुत है इसीलिए दूसरी लहर में उम्र-दराज यानि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग जिनका टीकाकरण हो गया था वे बीमारी से बहुत कम प्रभावित हुए हैं। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को केवल अधिकाधिक लोगों के टीकाकरण से ही रोका जा सकता है। उन्होंने जिले वासियों से अपील करते हुए कहा कि कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण अवश्य कराये। इसी प्रकार डा. मनोज शुक्ला, डा.लक्ष्मी मंघनानी सहित अन्य चिकित्सकों एवं पैरामेडीकल स्टाफ ने संक्रमण की परवाह किए बिना दिन-रातं मरीजों के इलाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

डॉ. एस.पी. तिवारी ने कोविडकाल में पीडित मानवता की सेवा की पेश की अदभुत मिशाल
डा. एस.पी. तिवारी

सतना जिला अस्पताल में मेडीकल विशेषज्ञ के रूप में सेवायें दे रहे डा. एस.पी. तिवारी को कोविडकाल में कोविड उपचार का नोडल अधिकारी बनाकर जिला अस्पताल सहित पूरे जिले के कोविड मरीजों के उपचार और मार्गदर्शन का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया था। डा तिवारी ने कोविड के संक्रमण से प्रभावित होने के वावजूद निरंतर कोविड मरीजों की सेवा और उपचार में दिन-रात एक करते हुए मानवता की सच्ची और अनूठी मिशाल पेश की है।
एक उदाहरण है सरदार बल्लभ भाई पटेल जिला चिकित्सालय सतना के डॉ. एस.पी. तिवारी जो मेडीसिन विशेषज्ञ है। कोविड महामारी के दौरान उन्होंने नोडल आफीसर की भूमिका के साथ कोविड मरीजों का जिस तरीके से इलाज किया वह एक मिसाल है। उन्होंने बताया कि फरवरी 2020 में कोविड से संबंधित खबरें भयभीत कर देती थी और उसी दौरान उन्हें कोविड का नोडल अधिकारी बनाया गया। वे अपने माता-पिता से प्रेरणा लेकर अपने पेशा को मानवता की सेवा में लगा दिया और प्रथम तथा दूसरी लहर तथा पोस्ट कोविड मरीजों के उपचार में कोई कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने बताया कि कोविड के नोडल अधिकारी बनते ही कोविड इलाज के लिए डॉक्टर्स व नर्सेस तथा पैरामेडीकल स्टॉप को तैयार कर इस दिशा में आगे बढ़ते गये और हजारों मरीजों की देख-रेख, उपचार उनके परिजनों से संपर्क स्थापित करने के साथ पीपीई किट पहनकर उनके बीच रहना, उनकी समस्याओं का ध्यान रखना उन्हें साहस दिलाना और पूरी तन्मयता से मरीजों का उपचार करना ही अपना कर्म व सौभाग्य माना। उन्होंने कहा कि कई सालों में ऐसी महामारी आती है और उस दौरान पीडित मानवता की सेवा करने का उन्हें अवसर मिला जिससे वे बहुत आनंदित हैं।

सिविल सर्जन डॉ रेखा त्रिपाठी ने कठिन परिस्थितियों में दी सेवाएं
डा. रेखा त्रिपाठी

कोरोना संक्रमण काल की दूसरी लहर में मार्च महीने से ही कोरोना के गंभीर मरीज आने लगे थे। इन कठिन परिस्थितियों में डा. रेखा त्रिपाठी ने जिला अस्पताल के सिविल सर्जन का प्रभार संभाला। अस्पताल के स्टाफ कोविड के संक्रमण का शिकार होने के वावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और पूरी तन्मयता के साथ जिला अस्पताल में सभी वार्डो को कोविड वार्ड में तब्दील कर सेन्ट्रल आक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था की और जिले के कोविड मरीजों को समुचित इलाज उपलब्ध कराकर मानवता की मिशाल पेश की।

डा. मनोज शुक्ला
डॉ.लक्ष्मी मंघनानी

राज्य सरकार के निदेर्शानुसार कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान सतना जिले में महामारी को रोकने की दिशा में टीम गठित कर संक्रमित मरीजों को विभिन्न कोविड सेंटरों में भर्ती कराने के प्रयास किये गये। साथ ही जिला चिकित्सालय और कोविड सेंटर में कोरोना पीडित मरीजो को नि:शुल्क दवाईयां, आक्सीजन की समुचित व्यवस्था, ठहराने और भोजन आदि के इतंजाम कराये गये। जिससे मरीज स्वस्थ होकर अपने घर संकुशल पहुंच गये। संक्रमित मरीजों को उपचार देने में सीएमएचओ डॉ अशोक अवधिया, सिविल सर्जन डॉ रेखा त्रिपाठी और नोडल अधिकारी डा. एस.पी. तिवारी, आरएमओ डा. अमर सिंह, चिकित्सक डा. मनोज शुक्ला, जिला समन्वयक डा. प्रवीण श्रीवास्तव सहित अन्य चिकित्सकों तथा स्टॉफ नर्स और कर्मचारियों ने अपनी महती भूमिकाओं का निर्वहन किया। जिला चिकित्सालय सतना में पदस्थ सिविल सर्जन डॉ रेखा त्रिपाठी ने बताया कि केन्द्र और राज्य सरकार के निर्देशन में कोविड संक्रमण से निपटने के लिए चिकित्सक और स्टॉफ नर्स के सहयोग से बडी संख्या में मरीजों को संक्रमण से मुक्ति दिलाई गई है। जिला चिकित्सालय को चार आक्सीजन प्लांट प्राप्त हुए हैं। जिनको स्थापित किए जाने का कार्य प्रगति पर है। सिविल सर्जन डॉ त्रिपाठी ने बताया कि क्षेत्रीय सांसद, विधायक, समाजसेवियों ने भी कोविड मरीजों को आक्सीजन प्रदान करने के लिए आक्सीजन कन्सटेज्टर की सुविधा उपलब्ध कराई।

 

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