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Cabinet Meeting: भारतनेट योजना को मिली हरी झंडी, 16 राज्यों में गांवों तक पहुंचेगा ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क

Cabinet Meeting: digi desk/BHN/ पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में भारतनेट प्रोजेक्‍ट के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। इस योजना के तहत भारतनेट के ज़रिये 16 राज्यों के सभी गांवों तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की सुविधा पहुंचाई जाएगी। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिए फैसलों की जानकारी देते हुए बताया कि कैबिनेट ने भारत नेट योजना को मंजूरी दी है, जो PPP मॉडल के तहत 16 राज्यों में लागू होगी। इस योजना पर 29,432 करोड़ रुपए के कुल खर्च को मंजूरी मिली है। कैबिनेट ने शेष राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी बसे हुए गांवों तक भारतनेट के विस्तार को भी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है।

भारतनेट के ज़रिये 16 राज्यों के सभी गांवों तक ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क की सुविधा पहुंचाई जाएगी। इस योजना के तहत चुने हुए 16 राज्य हैं – केरल, कर्नाटक, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश। केंद्रीय मंत्री ने बताया, “इसमें भारत सरकार की वायबिलिटी गैप फंडिंग 19,041 करोड़ रुपए होगी। ये हम देश के 3,61,000 गांवों में जो 16 राज्यों में हैं, वहां PPP मॉडल के जरिए ला रहे हैं।” रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमने 16 राज्यों में 9 पैकेज बनाया है। किसी एक प्लेयर को 4 पैकेज से ज्यादा नहीं मिलेगा। हम अब तक 1.56 लाख ग्राम पंचायतों में पहुंच चुके हैं और देश की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने का लक्ष्य है।

वहीं इस बैठक में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2 दिन पहले एक बड़े फैसले की घोषणा की थी, जिसे कैबिनेट में आज मंजूरी दे दी गई। उन्होंने सभी क्षेत्रों को 6,28,000 करोड़ रुपए की मदद का खाका बताया था।

कैबिनेट ने पॉवर सेक्टर के लिए एक सुधार-आधारित और परिणाम-लिंक्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम को भी मंजूरी दी है। कैबिनेट ने 3,03,000 करोड़ रुपए की योजना मंजूर की है, जिसमें से जिसमें केंद्र सरकार की ओर से 97,631 करोड़ रुपये ग्रॉस बजटरी सपोर्ट के तौर पर दी जाएगी। इस योजना में निजी क्षेत्र के DISCOMs को छोड़कर सभी DISCOMs/ Power विभाग शामिल होंगे, लेकिन जो वितरण कंपनियां घाटे में हैं, वे इस योजना से पैसा तब तक नहीं ले पाएंगी, जब तक वे घाटा कम करने के लिए अपनी योजना न बना लें।

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