रीवा,भास्कर हिंदी न्यूज़/ बारिश के मौसम में संक्रमण का दौर होने के चलते मवेशियों में भी बीमारी तेजी के साथ बढ़ने लगती है और इस समस्या से निपटने के लिए प्रतिवर्ष पशु चिकित्सा विभाग एक माह टीकाकारण के लिए निर्धारित किए हुए है। इस दौरान जिले के मवेशियों को टीका लगाने का काम पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टर और फील्ड आफीसर सहित अन्य कर्मचारी करते हैं। इस वर्ष मवेशियों के टीकाकरण के लिए लगभग 9 लाख का लक्ष्य लिया गया था। उसके एवज में अब तक लगभग 2 लाख 48 हजार मवेशियों को टीका लगाया गया है। हालांकि अभी टीकाकारण के लिए विभाग के पास समय बचा हुआ है। लेकिन जिस कछुआ गति से यह अभियान चलाया जा रहा है उससे बारिश का महीना समाप्त होने के बाद भी टीकाकरण का कार्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है।
स्टाफ की कमी है कारण
टीकाकरण सहित मवेशियों के इलाज के लिए जिस हिसाब से स्टाफ होना चाहिए वह काफी कम है। गिनती के डॉक्टर और फील्ड आफीसर हैं। बताया जा रहा है कि फील्ड आफीसरों को ग्रामीण क्षेत्र में टीकाकरण के लिए भेजा जा रहा है। जिस हिसाब से मवेशियों में टीकाकरण किया जाना है उसे देखते हुए बड़े अमले की जरूरत है। डॉक्टर, फील्ड आफीसर, कंपाउंडर एवं सहायक कर्मचारियों के साथ इस अभियान को चलाया जाना चाहिए।
पशु चिकित्सा विशेषज्ञों की माने तो बारिश के मौसम में मवेशियों में गलाघोंटू रोग इस बीमारी से मवेशियों का गला बड़ा हो जाता है और उसका संक्रमण फैलने से मवेशी का पूरा शरीर प्रभावित होने के साथ ही उसकी मौत भी हो जाती है। इसी तरह खुर की बीमारी भी मवेशियों के लिए समस्या होती है। गर्मी के मौसम में ऐरा प्रथा होने के कारण मवेशी इधर-उधर झुण्ड में घूमते हैं और कई बार मवेशियों में द्वंद की स्थिति होने के कारण उनमें चोट लग जाती है। बारिश होते ही यह चोट संक्रमण का रूप लेने के कारण मवेशी बीमारी का शिकार हो जाते हैं। ऐसी बीमारियों से बचाने के लिए प्रतिवर्ष पशु चिकित्सा विभाग लक्ष्य लेकर टीकाकरण अभियान चलाता है। उसी के तहत चालू वर्ष में भी टीकाकरण तो चलाया जा रहा है, लेकिन उसमें गति नहीं आ पा रही है।