Gayatri Jayanti:digi desk/BHN/ ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गायत्री जयंती के रूप में मनाया जाता है। मां गायत्री नारी शक्ति की प्रतीक मानी जाती हैं। उन्हें चार वेदों की मां भी कहा जाता है। ये चार वेद हैं ऋगवेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। धर्मिक मान्यताओं के अनुसार मां गायत्री के अंदर तीन देवियों का निवास होता है। ये देवियां मां दुर्गा, मां लक्ष्मी और मां सरस्वती हैं। मां गायत्री की पूजा ज्ञान की देवी के रूप में भी की जाती है। यहां गायत्री जयंती के मौके पर हम उनसे जुड़ी खास बातें बता रहे हैं।
हिंदू धर्म में वेदों को सबसे पवित्र और सबसे पुराना ग्रंथ माना जाता है, जिनमें जीवन जीने का तारीका बताया गया है और इसमें लिखी गई चीजें आम जीवन में बहुत काम आती हैं। देवी गायत्री के पांच सिर हैं और 10 हाथ हैं। उनके पांच सिर पंचतत्वों को दर्शाते हैं। ये पांच तत्व हैं पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश। वहीं देवी गायत्री के 10 हाथों में 10 अलग-अलग चीजें हैं। वो कमल के फूल पर विराजमान होती हैं।
देवी के गायत्री के 10 हाथों में शंख, चक्र, कमल, अंकुश, उज्जवला, रूद्राक्ष माला और गदा होती है, जबकि उनका एक हाथ अभय मुद्रा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में रहता है। कई लोगों का मानना है कि देवी गायत्री भगवान ब्रम्हा की पत्नी हैं। कई लोग उनकी फोटो सिर्फ एक सिर के साथ बनाते हैं और जाना पहचाना गायत्री मंत्र बोलते रहते हैं। गायत्री मंत्र का उत्थान ऋगवेद से हुआ है। इसमें चौबीस अक्षर हैं और हर अक्षर 24 तत्वों के बारे में बताता है।
गायत्री मंत्र में निहित अक्षरों का अर्थ
- पंच भूतः पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु और आकाश।
- पंच तन्मात्राः गंध, रस, रूप, स्पर्श और शब्द।
- पंच ज्ञानेन्द्रियांः घ्राण, जिव्हा, चक्षु, त्वचा, श्रोता।
- पंच कर्मेंद्रियांः उपास्था, पायु, पद, पानी और वक।
- चतुर्वायुः व्यान, समान, अपान, प्राण।
कई लोगों का मानना है कि इस मंत्र के आखिरी शब्द अंतःकरण को दर्शाते हैं। ये हैं मन, चित्त, बुद्धि और अहंकार। हालांकि, देवी गायत्री सृष्टि के सृजन से जुड़े हर तत्व को दर्शाती हैं। इसी वजह से उनका ध्यान करने से जीवन से अंधकार दूर होता है और प्रकाश आता है। इससे बुद्धि का विकास होता है और व्यक्ति सुखी जीवन का निर्वहन करता है।