School reopen: digi desk/BHN/ देश में कोरोना की दूसरी लहर खत्म हो चुकी है और कोरोना के नए मामलों में कमी आने के बाद अधिकतर राज्यों में सब कुछ खोल दिया गया है। हालांकि, कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए अभी तक किसी भी राज्य में स्कूल नहीं खोले गए हैं। CBSE सहित कई अन्य बोर्ड ने 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी हैं। इस बीच केन्द्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि जब तक अधिकतर शिक्षकों को टीका नहीं लग जाता और बच्चों में कोरोना संक्रमण को लेकर पर्याप्त जानकारी नहीं मिल जाती, तब तक देश में स्कूल नहीं खोले जाएंगे।
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने केन्द्रीय स्वास्थ्य विभाग की प्रेस मीट में बताया कि “जल्द ही भारत में भी स्कूल खोलने का समय आएगा, लेकिन हमें पहले यह देखना चाहिए कि विदेशों में स्कूल किस तरह खोले गए थे और कोरोना के मामले बढ़ने के बाद उन्हें बंद भी करना पड़ा था। हम अपने छात्रों और शिक्षकों को इन हालातों में नहीं डालना चाहते हैं।”
AIIMS और WHO के सर्वे पर दी प्रतिक्रिया
वीके पॉल ने AIIMS और WHO के सर्वे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह बात कही है। AIIMS और WHO ने अपने सर्वे में पाया था कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों में भी कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन गई है। इस वजह से उन्हें कोरोना का ज्यादा खतरा नहीं है। यदि देश में कोरोना की तीसरी लहर आती है तो भी बच्चों में संक्रमण ज्यादा नहीं होगा। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि स्कूल खोल दिए जाएं और बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग बनाने की जरूरत नहीं है। बच्चों में सीरोपॉजिटीविटी से जुड़ी यह रिसर्च स्कूल खोलने के लिए जरूरी पहलुओं में से एक है, लेकिन बाकी पहलुओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
अभी स्कूल खोलना उचित नहीं
वीके पॉल ने आगे कहा “अभी कई चीजें ऐसी हैं, जिनके बारे में हमें कुछ भी पता नहीं है। देश के विभिन्न हिस्सों में स्कूल खोलने से सिर्फ छात्र प्रभावित नहीं होंगे। इससे वहां पढ़ाने वाले शिक्षक और अन्य स्टाफ का जीवन भी खतरे में पड़ सकता है। हर्ड इम्यूनिटी सिर्फ एक अनुमान है। हमें इसके अलावा भी कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। कोरोना वायरस आगे चलकर अपना रूप बदल सकता है। अभी यह वायरस बच्चों पर बहुत गंभीर असर नहीं कर रहा है, पर कल को बच्चों में कोरोना के गंभीर लक्षण दिख सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो हम क्या करेंगे।”