Black Fungus in Children: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ कोरोना महामारी के बाद मरीजों में काली फफूंद बीमारी का असर देखने को मिल रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (Director General of Health Services, DGHC) ने बुधवार को 18 साल से कम उम्र के बच्चों में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के लिए विशेष दिशानिर्देश जारी की है। स्वास्थ्य मंत्रालय की जारी गाइडलाइन में कहा है कि म्यूकरमाइकोसिस गंभीर फंगस संक्रमण है, जो स्टेरॉयड के गलत या ज्यादा मात्रा में उपयोग के कारण, कैंसर, अंग या स्टेम सेल के प्रत्यारोपण, डायबीटिज को उपयुक्त तरीके से नियंत्रित न करने या फिर लंबे समय तक ICU में इलाज की वजह से होता है। Director General of Health Services की गाइडलाइन में बताया गया है कि ‘म्यूकरमाइकोसिस का इलाज शुरू करने के लिए टेस्ट के नतीजों का इंतजार न करें क्योंकि यह एक इमरजेंसी है।’
Posaconazole का करें इस्तेमाल
कोरोना से ठीक होने के बाद काली फफूंद का खतरा
आमतौर पर कोरोना से संक्रमित या कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन का मामला ज्यादा देखा गया है। कई मरीजों में आंखों की रोशनी खत्म होने का खतरा रहता है, वहीं कुछ मरीजों में आखें निकालने की भी स्थिति पैदा हो जाती है, जिन लोगों में डायबिटीज़ है, उनमें इसका संक्रमण देखा जा रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक कोविड-19 रोगियों के उपचार में स्टेरॉयड का उपयोग फंगल संक्रमण का एक कारण हो सकता है। म्यूकरमाइकोसिस गंभीर बीमारी है, जिसकी वजह से नाक, कान और गले के अलावा शरीर के दूसरे अंगों को भी नुकसान होता है।