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Hindu dharm में परिक्रमा का विशेष महत्व, जानें किसकी कितनी परिक्रमा करनी चाहिए

Special importance of parikarma: digi desk/BHN/ हर धर्म की अपनी अलग-अलग मान्यता होती। और यह मान्यता कोई आज से नहीं बल्कि आदिकाल से चली आ रही है। इन्हीं सब मान्यताओं में से एक मान्यता है परिक्रमा की। जी हां हर धर्म में परिक्रमा के अपने अलग-अलग रिवाज हैं। वैसे भी पूरा ब्रह्मांड ही परिक्रमा पर आधारित है। सूर्य महासूर्य की परिक्रमा कर रहा है तो सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं, और उपग्रह ग्रहों की परिक्रमा कर रहे हैं। परिक्रमा के कई प्रकार होते हैं यह तो आप समझ ही गए होगें। कोई शादी में फ़ैरे लेकर परिक्रमा करता है, तो कोई अंतिम संस्कार में परिक्रमा करता है। हिन्दू धर्म में नदियों को मां मानने वाले नदियों की भी परिक्रमा करते है जो कई दिनों तक चलती रहती है। ऐसे ही परिक्रमाएं कई प्रकार की होती हैं।

अलग-अलग परिक्रमाओं को लेकर अलग-अलग समय भी निर्धारित हैं ऐसे में अगर सभी परिक्रमाओं के बारे में जानना चाहेंगे तो समय के साथ जीवन भी खत्म हो जाएगा लेकिन परिक्रमाएं निरंतर चलती रहेगीं इसलिए हम यहां पर कुछ खास परिक्रमाओं के बारे में जानते हैं जो महत्वपूर्ण मानी गई हैं। चलिए जानते हैं इन खास परिक्रमा के बारे में..

चार धामों की परिक्रमा

चार धाम की तीर्थ यात्रा के बारे में तो आपने सुना ही होगा और शायद आपने की भी होगी। यहां पर बस यही यात्रा और परिक्रमा का संबध एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। हिन्दू धर्म में चार धाम की यात्रा अगर आपने कर ली तो समझ लो कि आपने इन चार धाम की परिक्रमा भी कर ली।

नदी की परिक्रमा

हिन्दू धर्म में नदियों को जीवन दायनी माना जाता है इसलिए इन्हे मां का दर्जा मिलता है। मां नर्मदा, मां गंगा, मां यमुना, सरयु, सिंधु, क्षिप्रा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी आदि नदियों की परिक्रमा करना बेहद ही मुश्किल होता है और यह आप भी समझते हैं। इनकी परिक्रमा काफी लंबे दिनों तक जारी रहती है इसके लिए परिक्रमावासियों को पहाड़, जंगलो आदि से होकर परिक्रमा करनी पड़ती है।

पर्वत की परिक्रमा

अभी आपने जैसे नदियों की परिक्रमा के बारे में जाना ठीक वैसे ही पर्वत की परिक्रमा की जाती है। हिन्दू धर्म में पर्वतों का भी विशेष महत्व माना जाता है। जैसे गोवर्धन पर्वत, गिरनार पर्वत, कामदगिरि पर्वत, मेरु पर्वत, हिमालय, नीलगिरी, तिरुमलै आदि पर्वतों की परिक्रमा करना आसान नहीं होता इनकी परिक्रमा में भी काफी दिन गुजर जाते हैं।

भारत की परिक्रमा

भारत को आस्था का प्रतीक माना गया है इसलिए संपूर्ण भारत की भी परिक्रमा की जाती है। परिवाज्रक संत और साधु भारत खण्ड की परिक्रमा करते हैं। इनकी यह परिक्रमा की यात्रा सिंधु से शुरू होकर कन्याकुमारी तक खत्म होती है।

तीर्थ की परिक्रमा

तीर्थ की परिक्रमा करना भी हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना गया है। श्रद्धालु तीर्थ स्थल वाले शहरों की भी परिक्रमा करते हैं। जैसे उज्जैन, अयोध्या, राजिम परिक्रमा, सप्तपुरी, चौरासी कोस परिक्रमा और प्रयाग पंचकोशी की परिक्रमा आदि।

विवाह में परिक्रमा

हिन्दू धर्म में विवाह के दौरान भी परिक्रमा का विशेष महत्व माना गया हैं इस दौरान वर-वधू अग्नि के चारों ओर 7 प्रदक्षिणा करते हैं तब यह विवाह संपन्न हो पाता है।

वृक्ष की परिक्रमा

हिन्दू धर्म में पेड़-पौधों की भी पूजा की जाती है। और और पूजा करते समय परिक्रमा का भी विशेष महत्व माना गया है।

शव की परिक्रमा

हिन्दू धर्म में मान्यता के अनुसार मनुष्य मृत्यु के बाद परलोक सिधार जाता है। इसलिए उसके अंतिम संस्कार के समय भी उसके शव की परिक्रमा की जाती है।

हिन्दू धर्म के अनुसार अभी तक हम उन परिक्रमा के बारे में बात कर रहे थे जिनमें ईश्वर निवास करते हैं या जिनका सीधा संपर्क ईश्वर से होता है। लेकिन अब हम हिन्दू धर्म में भगवान की परिक्रमा के बारे में जानेंगे। यहां पर हम प्रत्येक भगवान की कैसी परिक्रमा की जाती है इस बारे में चर्चा कर रहे हैं। तो चलिए जानते हैं कि कौन से भगवान की कितनी परिक्रमा की जाती है।

भगवान शिव आराध्य माने जाते हैं इसलिए सबसे पहले उनकी बात करते हैं

  • भगवान शिव की परिक्रमा हमेशा आधी की जाती है।
  • माता दुर्गा जी की परिक्रमा में पूरा एक चक्कर लगाया जाता है।
  • भगवान गणेश जी और हनुमान जी की परिक्रमा में 3 चक्कर लगाए जाते हैं।
  • भगवान विष्णु जी की चार परिक्रमा की जाती हैं।
  • भगवान सूर्य देव के उदय के समय चार परिक्रमा की जाती हैं।
  • पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करना जरूरी होता है।

वहीं जिन देवताओं की परिक्रमा का ज्ञान नहीं है तो उनकी तीन परिक्रमा करने का विधान होता है।

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