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Shani Dev: कुंडली में है शनि के ये 3 योग तो बहुत ही भाग्यशाली हैं आप, रहेंगे मालामाल

Shani Dev these 3 yogas of shani are in your horscope: digi desk/BHN/  न्याय के देवता भगवान शनि देव की कृपा जिस पर होती है उसका भाग्य बड़ा ही प्रभावशाली होता है। हर तरफ से उसके भाग्य में खुशियां चली आती हैं परेशानी दूर-दूर तक नहीं होती। वहीं अगर जिसकी कुंडली में भगवान शनि देव की दृष्टि पड़ जाए या शनि देव जिस व्यक्ति से नाराज हो जाएं तो समझ लीजिए कि उसका भाग्य उससे रूठ कर कहीं चला गया है, चारो ओर परेशानी के सिवा और कुछ नजर नहीं आता है, कष्टों के अलावा उसके जीवन में कुछ नहीं बचता है। गरीबी, लाचारी और न जाने कितने ही दोष उसके मेहमान बन जाते हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि शनि देव सिर्फ अशुभ फल ही प्रदान करते हैं, जिसकी कुंडली में शुभ योग बनते हैं शनिदेव की कृपा निरंतर उस पर बनी रहती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि के अशुभ प्रभावों के कारण मनुष्य अपने जीवन में कई समस्याओं का सामना करता है। लेकिन जिस व्यक्ति की कुंडली में शुभ योग बनते हैं भगवान शनि की कृपा उस पर निरंतर बनी रहती है। ऐसे ही 3 शुभ योग के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं ये 3 शुभ योग जिस भी व्यक्ति की कुंडली में होते हैं उसके ऊपर भगवान शनिदेव की कृपा बनी रहती है।

शनि और शुक्र एक ही स्थान पर हों

जिस भी व्यक्ति की कुंडली में शनि और शुक्र एक ही स्थान पर विद्यमान हों या ये दोनों एक ही जगह बैठते हैं, तब शनि-शुक्र योग का निर्माण होता है। यह योग बनने पर व्यक्ति को सुख समृध्दि के साथ आर्थिक परेशानी से मुक्ति मिलती है। इतना ही नहीं इस योग के शुभ प्रभाव से व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है और इससे जुड़े अन्य लोगों पर भी इसका प्रभाव पड़ता है। तुला राशि या वृष राशि के जातकों के लिए शनि का यह योग सबसे अधिक शुभ माना जाता है।

शनि योग से होते हैं लाभ

जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि अपनी स्वराशि मकर, कुंभ या तुला राशि में होता है या फिर शनि अपनी उच्च राशि तुला में होकर, कुंडली के मध्य भावों में स्थित होता है, तब यह योग यानी शश योग बनता है। ऐसा कहा जाता है कि जब यह योग का निर्माण होता है तब व्यक्ति का जीवन राजा के सामान बीतता है।

शनि के सातवें भाव में होने पर

शनि का स्थान भी व्यक्ति की कुंडली मेें बदलता रहता है। वहीं अगर शनि किसी व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में बैठे हों तो इसके प्रभाव से मनुष्य परिश्रमी होता है। इसके साथ ही मनुष्य का जीवन राजा के समान हो जाता है। जिस भी व्यक्ति की कुंडली में शनि सप्तम भाव में बैठे हों तो उन्हें शनि देव की पूजा करना चाहिए।

(यह लेख ज्योतिषिय मान्यताओं के आधार पर तैयार किया गया है)

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