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ग्वालियर की आदर्श गौशाला में गोबर से बन रही CNG, गौशाला को रोजाना हो रही 1 लाख की इनकम

ग्वालियर
 मध्य प्रदेश की सबसे बड़ी आदर्श गौशाला अपने नाम की तरह प्रदेश में एक मुकाम स्थापित कर रही है. 10 हजार गौवंश का न सिर्फ यहां भरण पोषण होता है, बल्कि इनकी पूरी देख रेख में होने वाला खर्च उठाने के लिए भी आदर्श गौशाला आत्मनिर्भर हो चुकी है. अब आदर्श गौशाला मध्य प्रदेश की पहली ऐसी गौशाला बन चुकी है जो गोवंश से मिलने वाले गोबर से ही बायो CNG का उत्पादन कर रही है. जिससे प्रतिदिन गौशाला को लगभग एक लाख रुपया की आमदनी भी प्राप्त हो रही है.

पीएम मोदी ने किया था उद्घाटन
पिछले साल 2 अक्टूबर 2024 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेट्रोलियम कंपनी इंडियन ऑयल के CSR फंड से लगाए गए गौशाला में बायो CNG प्लांट का शुभारंभ किया था. यह प्रदेश का सबसे बड़ा बायो सीएनजी प्लांट है. जिसकी क्षमता दो टन CNG प्रतिदिन बनाने की है और लगभग 15 दिन पहले यह बायो CNG प्लांट अपनी 50% क्षमता के साथ CNG का उत्पादन और बिक्री शुरू कर चुका है.

प्रतिदिन एक टन बायो सीएनजी का उत्पादन
आदर्श गौशाला के इस बायो सीएनजी प्लांट पर प्रोजेक्ट सभाल रहे प्रोजेक्ट हेड टुनटुन सिंह ने ईटीवी भारत को बताया कि, ''इस प्लांट की कैपेसिटी 2 टन सीएनजी जनरेशन प्रति दिन की है. जिसके लिए 100 टन प्रोडक्शन मटेरियल यानी 80 फीसदी गोबर और 20 प्रतिशत फ़ूड वेस्ट चाहिए होता है. हालांकि वर्तमान में यह बायो सीएनजी प्लांट 50 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रहा है. फिलहाल इसके लिए लगभग 50 टन गोबर गौशाला से मिल रहा है. जिससे लगभग अब 1 टन सीएनजी का उत्पादन हो रहा है.''

इस प्लांट में सीएनजी बनाये जाने के प्रोसीजर के बारे में भी टुनटुन सिंह ने बताया कि, सबसे पहले गोबर को प्लांट के काउंटिंग पीट में डाला जाता है. जहाँ उसकी मिक्सिंग की जाती है. इसके बाद इसे प्रिपरेशन फीड में शिफ्ट किया जाता है. जहां से फीड पम्प के जरिए उसे डाइजेस्टर डोम में स्टोर किया जाता है. यहां लगभग एक महीने में गैस बन कर तैयार होती है.

गौशाला कैसे बनी आदर्श

इस प्रोसेस के दौरान यह लिक्विड फॉर्म में होती है लेकिन हवा से हल्की होती है. ऐसे में वह गैस गुरुत्वाकर्षण की वजह से ऊपर आ जाती है और ग्रेविटी की वजह से पीट में वापस पहुंच जाती है. इसके बाद जब गैस बनकर तैयार हीती है तो इसे ग्राउंड मनोर बैलून में ट्रांसफर कर लिया जाता है. इसके बाद प्यूरिफिकेशन सिस्टम के जरिए उस गैस में से s2s यानी डिसल्फर CO2 कार्बन डाइऑक्साइड और मॉइस्चर को एक्सट्रैक्ट कर सीधा सीएनजी गैस कंटेनर और गाड़ियों की गैस किट में भर दिया जाता है.

आईओसीएल ने सीएसआर फण्ड से कराया था निर्माण
नगर निगम द्वारा स्थापित आदर्श गौशाला का संचालन संतों द्वारा कृष्णायन गौ सेवा संत समिति के अंतर्गत किया जाता है. इस गौशाला के संरक्षक संत ऋषभदेव आनंद ने बताया कि, आईओसीएल द्वारा 31 करोड़ रुपये के सीएसआर फंड से गौशाला में बायो सीएनजी प्लांट स्थापित कराया गया था जो प्रदेश सबसे बड़ा गौधन आधारित प्लांट है. शुरुआत में कुछ अड़चने रहीं लेकिन कुछ दिन पहले से यहां सुचारू रूप से काम शुरू कर दिया गया है.

प्रतिदिन की कमाई एक लाख रुपये
इस प्लांट की बदौलत यहां प्रतिदिन 1 लाख रुपये की आय गौशाला को हो रही है. यानी पिछले पंद्रह दिनों में गौशाला को 15 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है. जो अब निरंतर चलता रहेगा. उन्होंने बताया कि, वर्तमान में गौशाला के बायोगैस प्लांट में तैयार होने वाली बायो सीएनजी के विक्रय का काम गैल कंपनी के द्वारा किया जा रहा है. इसके अन्तर्गत राजस्थान गैस एजेंसी यहाँ से बॉटलिंग कर इस बायो सीएनजी गैस को प्रतिदिन राजस्थान ले जा रही है.

गौवंश पर ही खर्च होगा कमाई का पैसा
संत ऋषभ देव आनंद का कहना है कि, ''आने वाले समय में गौशाला के नाम से बैंक में एक खाता खोला जाएगा. जिसमें इस आमदनी के रुपये जमा कराए जाएंगे. यह धन भी गौशाला में रह रहे गौवंश के भोजन, इलाज और अन्य व्यवस्थाओं में खर्च किया जाएगा.''

भविष्य को लेकर भी अभी से प्लानिंग
वहीं भविष्य में विस्तार के लिए बायो सीएनजी के बाद बचने वाले गोबर के अवशेष का इस्तेमाल कर उसे उर्वरक यानी खाद में बदलने के तरीकों पर भी रिसर्च की जाएगी. अब शोध और प्रशिक्षण बड़े विषय हैं, आने वाले समय में यहां ट्रेनिंग के साथ ही रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर स्थापित करने की भी प्लानिंग की जा रही है.

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