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छत्तीसगढ़ में कोरोना के दौरान कैदियों को पैरोल पर छोड़ा थाअभी तक 70 कैदी वापस नहीं लौटे

रायपुर

 रायपुर सेंट्रल जेल से सात ऐसे बंदी हैं, जो पैरोल पर छूटने के बाद वापस नहीं लौटे। एक बंदी दिसंबर 2002 से गायब हैं। इनमें अधिकतर बंदी हत्या के प्रकरण में जेल में बंद थे। जेल और पुलिस प्रशासन ने इन बंदियों की कई बार तलाश की, लेकिन अब तक उनका कोई पता नहीं चला। प्रदेशभर में ऐसे बंदियों की संख्या करीब 70 है।

भी तक 70 कैदी वापस नहीं लौटे हैं। हाईकोर्ट की सख्ती दिखाने के बाद जेल डीजी ने शपथपत्र में यह जानकारी दी है।हालांकि, जेल प्रबंधन ने ऐसे फरार कैदियों के खिलाफ थानों में केस भी दर्ज कराया है। जिनकी तलाश की जा रही है।

10 को गिरफ्तार किया गया, 3 की मौत

दरअसल, हाईकोर्ट ने पैरोल पर छोड़े गए कैदियों को लेकर हाईकोर्ट ने जेल डीजी से शपथपत्र के साथ जवाब मांगा था। जिसके बाद जेल डीजी की तरफ से हाईकोर्ट को जानकारी दी गई है। इसके मुताबिक प्रदेश की पांच सेंट्रल जेलों के 83 कैदी पैरोल से नहीं लौटे थे, जिनमें से 10 को गिरफ्तार कर लिया गया है। वहीं, 3 की मृत्यु हो गई है।

अभी भी प्रदेशभर की जेलों से करीब 70 बंदी पैरोल से छूटने के बाद वापस नहीं लौटे हैं। एक बंदी दिसंबर 2002 से गायब हैं। इनमें अधिकतर बंदी हत्या के प्रकरण में जेल में बंद थे।

जेल प्रशासन का दावा- फरार कैदियों की तलाश जारी

जेल प्रशासन का दावा है कि पुलिस के साथ मिलकर उन्होंने फरार कैदियों की तलाश की। लेकिन, अब तक उनका कोई पता नहीं चला है। अब जेल प्रशासन इन बंदियों की वापसी की राह ताक रहा है। सूचना के अधिकार के तहत रायपुर जेल के वारंट अधिकारी ने 7 बंदियों के पैरोल पर छोड़े जाने के बाद से नहीं लौटने की जानकारी दी है।

जेल प्रबंधन ने दर्ज कराया है केस

बिलासपुर जेल में इस तरह 22 बंदी नहीं लौटे हैं। उनके परिजन को बार-बार सूचना देने के बाद भी जब बंदी नहीं लौटे, तो जेल प्रबंधन ने उनके खिलाफ संबंधित थानों में केस दर्ज कराया है।

कोरोना संक्रमण को देखते हुए दी गई पैरोल

बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान फैलते संक्रमण को देखते हुए जेल प्रशासन ने अच्छे आचरण वाले बंदियों को पैरोल पर भेजा था। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दौरान पैरोल की अवधि कई बार बढ़ाई गई थी। नहीं लौटने वालों में इनकी ही संख्या अधिक है।

अंतरिम जमानत पर छोड़ा गया था

छत्तीसगढ़ में कुल पांच सेंट्रल जेल रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, जगदलपुर और अंबिकापुर में हैं। इसके अलावा 12 जिला और 16 उपजेल हैं। केंद्रीय जेलों के अलावा इन जेलों में भी बंदियों को राहत दी गई थी। कई बंदियों को अंतरिम जमानत पर छोड़ा गया था।

इनकी संख्या और वापसी की पुख्ता जानकारी नहीं है। जानकार बताते हैं कि अंतरिम जमानत पर जेल के बाहर गए ज्यादातर बंदियों ने कोर्ट से अपनी जमानत करवा ली है। ऐसे में इन बंदियों की निश्चित संख्या की जानकारी जेल प्रबंधन के पास भी नहीं है।

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