Mustard Stock in Chambal:digi desk/BHN/ग्वालियर/ मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में इस बार सरसों की बंपर पैदावार हुई है। बाजार में दाम सरकार के समर्थन मूल्य से लगभग दोगुना है। इस कारण किसानों ने सरकार को सरसों का एक भी दाना नहीं बेचा। मुरैना में हजारों किसानों ने सरसों के भाव और बढ़ने की उम्मीद में एक लाख क्विंटल सरसों को स्टाक कर रखा है। राजस्थान के बाद मध्य प्रदेश व हरियाणा में सरसों की पैदावार देश में सबसे ज्यादा होती है। मध्य प्रदेश में जितनी सरसों होती है, उसकी 70 फीसद पैदावार ग्वालियर-चंबल (मुरैना, भिंड, ग्वालियर, दतिया व श्योपुर जिलों) में होती है। मुरैना में इस बार 1 लाख 52 हजार 656 हेक्टेयर क्षेत्र में 7 लाख 50 हजार क्विंटल से ज्यादा सरसों की पैदावार हुई है।
रकबा व पैदावार ने पुराने रिकार्ड तोड़ दिए, तो भाव भी पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुना हो गया। सरकार ने समर्थन मूल्य पर सरसों के दाम 4650 रुपये प्रति क्विंटल रखा, परंतु जैसे ही सरसों खेतों से कटकर कृषि मंडियों में आने लगी, बाजार में दाम अचानक 5000 रुपये क्विंटल पहुंच गए, जो बढ़ते हुए 7400 रुपये तक हो गए हैं। यही कारण रहा कि, मुरैना के किसी भी किसान ने समर्थन मूल्य पर सरसों नहीं बेची। जिले के किसान अब तक साढ़े 5 से पौने 6 लाख क्विंटल सरसों व्यापारियों को बेच चुके हैं।
इसलिए आसमान छू रहे सरसों के दाम
केंद्र सरकार ने 8 जून 2021 से तेल कारोबारियों के मिश्रित तेल के लाइसेंस खत्म कर दिए हैं। इसके अलावा विदेशों से आने वाले पाम आयल, राइसब्रान आयल और सोया आयल पर आयात शुल्क बढ़ गया है। इससे इन तेलों का आयात लगभग बंद हो गया है। इस कारण सरसों की मांग बाजार में इतनी बढ़ी कि तेल कारोबारियों ने सरसों का स्टाक करना शुरू कर दिया और सरसों के दाम इतिहास में पहली बार 7000 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा पहुंच गए हैं।