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वैभव सूर्यवंशी ने दुनिया को दिखा दिया है कि उम्र सिर्फ एक नंबर है, चाहिए सचिन जैसा सपोर्ट

नई दिल्ली
14 साल के वैभव सूर्यवंशी ने दुनिया को दिखा दिया है कि उम्र सिर्फ एक नंबर है। अगर आपके पास स्पेशल टैलेंट है तो चमकने से कोई नहीं रोक सकता। राजस्थान रॉयल्स का हिस्सा सूर्यवंशी ने हाल ही में आईपीएल 2025 में गुजरात टाइटंस के खिलाफ तूफानी सेंचुरी ठोककर सभी को दंग कर दिया। उन्होंने 35 गेंदों में सेंचुरी कंप्लीट कर ली थी। वह आईपीएल में सबसे तेज शतक लगाने वाले भारतीय प्लेयर बन चुके हैं और ओवरऑल लिस्ट में दूसरे पायदान पर पहुंच गए। सूर्यवंशी लगातार सुर्खियों में छाए हुए हैं। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व दिग्गज क्रिकेटर ग्रेग चैपल ने सूर्यवंशी को लेकर भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) को चेताया है। चैपल टीम इंडिया के कोच भी रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि सूर्यवंशी को निखरने के लिए सचिन तेंदुलकर जैसा सपोर्ट चाहिए।

चैपल का मानना है कि अगर सूर्यवंशी को सचिन जैसा समर्थन नहीं मिला तो उनका हश्र विनोद कांबली और पृथ्वी शॉट जैसा होगा। इन दोनों खिलाड़ियों की प्रतिभा की खूब चर्चा रही लेकिन दमदार शुरुआत के बावजूद अपनी वास्तविक क्षमता को नहीं भुना सके। चैपल ने ईएसपीएनक्रिकइन्फो के लिए अपने कॉलम में लिखा, “सचिन तेंदुलकर ने किशोरावस्था में न केवल प्रतिभा के कारण बल्कि एक सॉलिड सपोर्ट सिस्टम के कारण सफलता प्राप्त की – एक दृढ़ स्वभाव, एक बुद्धिमान कोच, एक परिवार जिसने उन्हें सर्कस से बचाया। दूसरी ओर, विनोद कांबली, समान रूप से प्रतिभाशाली और शायद अधिक तेजतर्रार, प्रसिद्धि और अनुशासन के बीच संतुलन बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। उनका पतन उनके उत्थान जितना ही नाटकीय था। पृथ्वी शॉ भी शिखर पर जाने के बाद गिर गया, लेकिन वह अभी भी शिखर पर वापस जाने का रास्ता खोज सकता है।”

तेंदुलकर और कांबली एकसाथ खेल जगत में छाए थे। सचिन का शुमार सबसे महान खिलाड़ियों में हुआ तो कांबली काफी पीछे छूट गए। मास्टर ब्लास्टर सचिन ने अपने शानदार करियर के दौरान सभी प्रारूपों (टेस्ट, वनडे और टी20) में कुल 34,357 इंटरनेशनल रन बनाए। उन्होंने टेस्ट में 15,921, वनडे में 18,426 और एक टी20 में में 10 रन बनाए। दूसरी ओर, कांबली केवल 17 टेस्ट और 104 वनडे ही खेल पाए। कांबली फेम को संभालने में विफल रहे। उन्हें शराब की लत भी लग गई, जिसके कारण पिछले एक दशक में उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। शॉ ने भी मुंबई में बहुत कम उम्र में पहचान बनाने के बाद अपने करियर में इसी तरह की गिरावट देखी।

उन्होंने 2018 में भारत को अंडर-19 कप खिताब दिलाया लेकिन वर्तमान समय में वह सीनियर टीम की योजनाओं में कहीं नहीं हैं। हालांकि, उनके नेतृत्व में खेल चुके शुभमन गिल और अर्शदीप सिंह जैसे खिलाड़ी लगातार छाप छोड़ रहे हैं। शॉ ने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू मैच में शतक लगातार की थी। उन्हें भारतीय क्रिकेट का भविष्य माना जाता था लेकिन अनुशासनहीनता, फिटनेस का मसला और ऑफ-फील्ड विवाद ने करियर को प्रभावित किया। उन्हें आईपीएल 2025 मेगा ऑक्शन में खरीदार तक नहीं मिला था।

चैपल ने कहा, ''ये कहानियां युवाओं की क्षमता पर सवाल नहीं उठाती हैं लेकिन वे इस समझदारी को चुनौती देती हैं कि क्षमता को कैसे पोषित किया जाए – या उसका इस्तेमाल कैसे किया जाए।'' पूर्व भारतीय कोच ने सूर्यवंशी का सही से ख्याल रखने की जरूरत है, मार्केटिंग के बजाए उसकी प्रतिभा को निखारने पर ध्यान दिया जाए। चैपल ने कहा, ''क्रिकेटिंग इकोसिस्टम- बीसीसीआई, फ्रेंचाइजी, मेंटोर और मीडिया पर उसे संभालने की जिम्मेदारी है। प्रतिभा को छुपाकर नहीं रखा जा सकता लेकिन उसे एक बफर प्रदान किया जा सकता है। इसका मार्गदर्शन किया जाना चाहिए, महिमामंडन नहीं; इसका पोषण किया जाना चाहिए, न कि केवल मार्केटिंग की जानी चाहिए।"

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